For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भौंरों के गुंजार से भी उठ रहा गहरा धुआं

पिंजड़े होकर सजग
देखते हैं आड़ से
धातुमय आवेग ताने
बढ़ रहा क्‍या भार से
एकरंगी ताल-पोखर
सांवली परछाईयां
भौंरों के गुंजार से भी उठ रहा गहरा धुआं
.
खिल ना पाते फूल भी अब
चांदनी कोसे किसे
कारवां देकर गया है
राह को कैसे नशे
दुधमुंहें बादल गरजते
दण्‍‍डमय किलकारियां
भौंरों के गुंजार से भी उठ रहा गहरा धुआं
.
तड़पते आंचल कहां तक
शोक गहरे ये चखे
तमतमाते बहरे खंजर
हाथ धो पीछे पड़े
रोशनी में हो रही गुम
लोरियों की क्‍यारियां
भौंरों के गुंजार से भी उठ रहा गहरा धुआं
.
धमक से ठमकी धरा भी
अपनी आंखें मल रही
धूल की मुट्ठी बड़ी नित
उसके ऊपर खुल रही
पत्‍थरों के निशाने
पर सभी फुलवारियां
भौंरों के गुंजार से भी उठ रहा गहरा धुआं
.
राजेश कुमार झा (मौलिक रचना)

Views: 445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on January 15, 2013 at 5:36pm

आप सबका सादर आभार


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2013 at 4:21pm

आदरणीय राजेश झा जी, रचना बहुत ही प्रवाहमयी रची गई है, शब्द संयोजन ठीक ठाक है, भाव स्तर पर भी रचना अच्छी बन पड़ी है, बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर |

Comment by अमि तेष on January 9, 2013 at 5:31pm
खिल ना पाते फूल भी अब
चांदनी कोसे किसे
कारवां देकर गया है
राह को कैसे नशे
दुधमुंहें बादल गरजते
दण्‍‍डमय किलकारियां
भौंरों के गुंजार से भी उठ रहा गहरा धुआं..........वाह 
Comment by Dr.Ajay Khare on January 8, 2013 at 4:10pm

rAJESH JI KHUBSURAT RACHNA BADHAI

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
34 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
2 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
21 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service