For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीतों से दिल की बातें, कैसे तुम्हें सुनाऊं ..

गीतों से दिल की बातें, कैसे तुम्हें सुनाऊं  .

बेबस नयन की बोली, कैसे तुम्हें दिखाऊ.

दिल कुमुदनी सा देखो, प्रियतम मेरी तुम्हारा ,

चन्द्र चन्द्रिका से दिल की, कैसे इसे खिलाऊं .

दर्पण से दिल में जो भी ,संजोये तुमनें सपने ,

दर्पण में अक्स दिल का , कैसे तुम्हें दिखाऊ.

काज़ल ने है बचाया, नज़र से ज़माने की ,

वो ख्वाब तुम्हारे हैं, ज़माने से मैं छिपाऊं .

ऋतु बसंत पतझड़ पर, छा गयी गुलिस्ताँ में,

मैं खिल उठा सुमन सा , जग को ज़रा बताऊँ .

बदरी बन के छाए , धरती की प्यास पर तुम ,

धरा पे गरज के बरसे , तन में तुम्हें समाऊं.

रचयिता : गीतकार डा अजय .

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on March 24, 2012 at 11:39am

सभी सुधी मित्रों का आभार जिन्होंनें रचना को पढ़ा व अपनी प्रतिक्रियाएं दी . सादर नमन .

Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 1:31pm

गीतकार की वेदना रचना से स्वतः स्फुटित हो रही है
सुन्दर रचना के लिए बधाई

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 22, 2012 at 10:55pm

सर शशक्त भावाभियक्ति के लिए बधाई स्वीकार करें

Comment by AVINASH S BAGDE on March 22, 2012 at 7:55pm
ऋतु बसंत पतझड़ पर, छा गयी गुलिस्ताँ में,WAH Dr.Ajay ji.
Comment by AVINASH S BAGDE on March 22, 2012 at 7:55pm
ऋतु बसंत पतझड़ पर, छा गयी गुलिस्ताँ में,WAH Dr.Ajay ji.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 22, 2012 at 7:51pm

bahut achchi bhaav poorn prastuti.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 22, 2012 at 6:25pm

काज़ल ने है बचाया, नज़र से ज़माने की ,

वो ख्वाब तुम्हारे हैं, ज़माने से मैं छिपाऊं .

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय अजय जी!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 22, 2012 at 5:38pm

bahut sundar bhav purn prastuti. aadarniya ajay ji. sadar badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"वाह वाह वाह... क्या ही खूब शृंगार का रसास्वाद कराया है। बहुत बढ़िया दोहे हुए है। आखिरी दोहे ने तो…"
8 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, बहुत शानदार गीत हुआ है। तल्ला और कल्ला ने मुग्ध कर दिया। जो पेड़ों को काटे…"
13 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
36 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
39 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
48 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"वक्त / समय बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ ।। आदरणीय सुशील सरना…"
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मंहगाई पर व्यंग्य करता बढ़िया कुंडलियां छंद हुआ है। हार्दिक बधाई स्वीकार…"
56 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई। सादर"
59 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। क्या कुंडलियां छंद में दो दोहे…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service