| घर चलता है नर नारी से , नर का चले सारा अधिकार | | 
| घर का काम करे सब नारी , फिर भी रहे नर से लाचार | | 
| संग रहे भाई बचपन में , बात बात में देता ताना | | 
| एक दिन ससुराल जाओगी , वहाँ होगा तेरा ठिकाना | | 
| सदा कहा भाई की होती , बहन का नहीं चले बहाना | | 
| रोकर चुप हो जाती बहना , दबा लेती आंसू की धार | | 
| घर चलता है नर नारी से , नर का चले सारा अधिकार | | 
| घर का काम करे सब नारी , फिर भी रहे नर से लाचार | | 
| दुल्हन बन साजन घर जाती , हर पल पिया का डर सताये | | 
| गोद सजे जब फल फूलों से , पग पग पर काटें ही आये | | 
| ससुर जेठ कसते हैं ताना , बहु का कोई काम ना भाये | | 
| रो धो कहीं गुजारा करती , बोलने पर पड़ती है मार | | 
| घर चलता है नर नारी से , नर का चले सारा अधिकार | | 
| घर का काम करे सब नारी , फिर भी रहे नर से लाचार | | 
| बुढ़ापें में बेटा सहारा , पड़ी रहती कहीं कोने में | | 
| पास बुलाये पर ना आये , दिन कट जाये सोने में | | 
| अपना अंग काम ना करता , दिल जलता है ग़म ढोने में | | 
| घर में आती हैं हर खुशियाँ , सोच सपने होते बेकार | | 
| घर चलता है नर नारी से , नर का चले सारा अधिकार | | 
| घर का काम करे सब नारी , फिर भी रहे नर से लाचार | | 
| बात नहीं मानें नारी का , नर का ही है कहीं बोलबाला | | 
| विरले मुखिया बनती जग में , सब नर को पहनाते माला | | 
| सदा सतायी जाती नारी , रहे घर या टोला मुहाला | | 
| वर्मा जग की यहीं कहानी , अबला सहे हर अत्याचार | | 
| घर चलता है नर नारी से , नर का चले सारा अधिकार | | 
| घर का काम करे सब नारी , फिर भी रहे नर से लाचार | | 
| मौलिक व अप्रकाशित | 
| श्याम नारायण वर्मा | 
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