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मुहब्बत खूबसूरत है, इसे बदनाम मत करना।
देना दिल तबीयत से, कभी अहसान मत करना।
खुदा की ये नियामत है, नहीं हर एक को मिलती।
ये नेमत हाथ लग जाये, कभी इंकार मत करना।

मुहब्बत खेल मत समझो, खुदा की ये इबादत है।
यही इंसान की फितरत, यही शमसीर कुदरत है।
मुहब्बत का परिंदा है यहां, हर शख्स हर जर्रा।
दिलों में क्यों भरा नफरत, जहां में क्यों अदावत है।

बुरा वो मान लें शायद, करूं इजहार यदि उनसे।
गिरा दें मुझको नजरों से, जता दूं प्यार यदि उनसे।
अगर वो साथ चलते तो, जहन्नुम भी हंसी होता।
खुदा भी मिल गया मुझको, मिले अभिसार यदि उनसे।

हमारी खूबियां भूलो, न चाहो तुम हमें जाना।
बहुत आसां नहीं होगा, ख्यालों से मिटा पाना।
गिले शिकवे बहुत होंगे, कई गुस्ताखियां होगी।
रहे बस याद कोई था, तुम्हारा एक दीवाना।

बजा है साज मधुरिम तब, सुना आवाज जब उनका।
मिली सारी खुशी हमको, हुआ दीदार जब उनका।
खुदा भी मिल गया होता, अगर हां कर दिये होते।
कयामत आ गया मुझ पर, मिला इंकार जब उनका।

कभी सोचा नहीं मैंने, कि ये भी सोच लेंगे सब।
हमारी कल्पना को भी, किसी से जोड़ देंगे सब।
लिखूंगा मैं कोई कविता, बनेगी सौ कहानी फिर।
अधूरी हर कहानी में, नया कुछ जोड़ देंगे सब।

मेरा दिल और का धन है, वो दिल और उनका है।
किसी मैं और का रहबर, साहिल और उनका है।
मिले होते अगर पहले, तो शायद सोचते लेकिन।
सफर मेरा अलग उनसे, मंजिल और उनका है।

मिलेगा सिर्फ उतना ही, लिखा जो भाग्य में होगा।
समय से और पहले भी, नहीं कुछ हाथ में होगा।
तड़प ले चाहे जितना हम, मुताबिक खुद के वो देता।
किसी को पहले हो जाये, किसी का बाद में होगा।

बुरे का संग किया तुमने, कहां परिणाम शुभ होगा।
करेगा पार क्या तुमको, फंसा मझधार खुद होगा।
बड़ों से की बगावत जो, नहीं रणनीति अच्छी थी।
किसी का दिल दुखाया गर, तुझे भी खूब दुख होगा।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by गिरिराज भंडारी on March 21, 2017 at 3:32pm

आदरनीय विन्ध्येश्वरी भाई , सभी मुक्तक बेहतरीन रचे हैं , हार्दिक बधाई आपको

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 19, 2017 at 8:28am
आदरणीय मो. आरिफ सर! सादर नमन,
अवश्य सर, प्रेम ही सब कुछ है। रचना कघ सराहना के लिये आपका बहुत-बहुत आभार।
Comment by Mohammed Arif on March 18, 2017 at 10:12pm
आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आदाब,कितने प्यार ख़ूबसूरत प्यार के रंग में मुक्तक। प्यार ज़िंदगी है, प्यार तिश्नगी है, बंदगी है, प्यार कोई महाजनी हिसाब-क़िताब नहीं है , प्यार वही सच्चा है जिसमें दायित्व हो , जिसमें ज़िम्मेदारी हो,अहसासों की बगिया हरदम महकती रहना चाहिए, भरोसे की अटल-अडिग चट्टान हो । शेष तीन मुक्तकों में नीति की बात है । वाह वाह वाह वाह हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

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