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वह अपने महल के अंदर बैठा हुआ था और अपने साथियों के साथ जश्न मनाने की तैयारी हो रही थी। उसके सैनिकों द्वारा छद्म वेश में जाकर दुश्मन देश के सैनिक अड्डे पर भीषण आक्रमण के परिणाम स्वरूप वहां पर भयंकर तबाही मची हुई थी और उस देश का अगुवा बौखला उठा थां । आज तक उससे कहा जा रहा था िकवह हमारा दोस्त है लेकिन इस तरह से पीठ के उपर छुरा मार कर घायल कर दिया गया था और उसी से वह छटपटा रहा था । उस देश के लगभग 50 सैनिक मौके पर ही मर गये थे। साजो सामान के नुकसान भी करोड़ों के उपर था। उसने अपने अनुचरों को जगह-जगह तैनात कर दिया था। जश्न के मेहमानों के आने का समय नजदीक आ रहा था। ं कुछ देर बाद मेहमान आने श्ुारू ही होने वाले थे। तभी एक गुप्तचर घबराया हुआ आया और उसने उससे अकेले में बात करने की इच्छा जाहिर क्ी।
वे दोनों एक कक्ष के अंदर चले गये। वहां पर कोई अन्य व्यक्ति नहीं था।
आपस में बात करते हुए अनुचर द्वारा दी गई सुचना को सुन क रवह सकते में आ गया। गुप्तुचर के अनुसार दुश्मन देश के द्वारा सीमा के अंदर आकर नागरिक क्षेत्र में षडयंत्रकारियों के सफाया के नाम पर अनेक नागरिकों की हत्या कर दी गई। वे सफलता पूर्वक वापस अपने क्षेत्र में चले गये।
वह शीघ्रता से अपने कक्ष में आया और अपने अनुचरों को जश्न रोकने का आदेश दिया तथा कहा कि मेहमानों को जल्द से जल्द खबर दे दी जाय। जिससे वे न आयें ।
इसके बाद वह मौके का निरीक्षण करने चला गया।
मौके पर देखा कि उसके देश वासियों की लाशें रखी गयी थीं। उसके आस-पास उनके परिजन शोकाकुल मुद्रा में खड़े हुए थें। उनके आश्रितों का तो और बुरा हाल था।
यह देख कर उसके नैन भर आये और मुंह से निकला ‘‘ये क्या हुआ?’’

मौलिक व अप्रकाशित

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