For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उल्‍टा श्रृंगार

लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्‍कुराती है।

कहे कैसी सजी हूँ मैं लगा कर मॉंग में काजल
तुम्‍हें मैं प्‍यार करती हूँ समझना मत मुझे पागल
लगाती नाक पर बिन्‍दियॉं अदा उसकी निराली है
जला कर दिन में वो दीपक कहे मुझसे दिवाली है
बजा कर हाथ की पायल मुझे हरदम सताती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्‍कुराती है।

लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है

न पूछो बात तुम उसकी बड़ी सीधी बड़ी न्‍यारी
लगाये  गाल में अतला मुझे लगती बड़ी प्‍यारी
गुलाबी होठ हैं उसके पहनती है नया झुमका
अगर आवें कभी भाई लगाती झूम के ठुमका
खिलाने को उसे बकरा मुझे चूना लगाती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्‍कुराती है।

लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है

पहनती नाक गजरा हमेशा लाल फूलों का
टंगी तस्‍वीर पर मेरी चढ़ाती हार शूलों का
करेगा काम ये तेरा बताया काले थापा ने
खरीदा है तभी मैने दिया दस लाख पापा ने
खड़ा कर सामने मुझको वो सखियों से बताती है
दिखा कर पाँव के कंगना खुशी से मुस्‍कुराती है।

लगाये आँख में लाली सुबह वो पास आती है

अखंड गहमरी मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2015 at 2:08pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी आपको नमन, टाइप करते समय में शब्‍द छूट गया है, जिसे सही करा लेगें हम

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 17, 2015 at 12:01pm

आ0 अखंड भाई जी,    सुंदर रचना .  हार्दिक  बधाई.  लेकिन यहा पर गति अवरोध  है....पहनती नाक गजरा.....इसे यू  करके देखिये.......पहन नाक में गजरा../ सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service