For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वह राज तंत्र था --डा० विजय शंकर

वह एक राजतंत्र था
एक द्रौपदी थी , एक ही ,
वह भी थी उसी कुल की .
पिता तुल्य राजा था वह ,
सचमुच पूरा अंधा था वह .
पितामह भी थे, अंध नहीं
पर अंध स्वामिभक्त थे,
सत्ता नहीं सत्ताधारियों के
प्रति समर्पित, आसक्त थे .
चीर हरण था , वह भी
संकेतात्मक , विफल .
पर ले डूबा कुल वंश ,
अंध स्वामिभक्त बड़े
अधिष्ठाता भी नहीं बचे ,
बड़े कष्ट से मुक्त हुए .
हुए नष्ट पाप के सब सहभागी
सती जस माता रही अभागी .
बचा संग अंधा राजा , रोने
और आंसू बहाने को .
राज गया , पाठ गया
मान गया, सम्मान गया
निंदनीय स्मृतियाँ छोड़ गया .
अपराधी था , वह
राजा था तो क्या हुआ
दंड का पूरा भागी था
वह तंत्र, राजतंत्र था ,
वह राज तंत्र था .

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 27, 2014 at 11:41am
God bless you .
Regards .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 27, 2014 at 1:03am

शुभेच्छाओं के लिए सादर आभार आदरणीय डॉक्टर साहब.. 

 

वैसे, पढ़ने-लिखने में मैं जरा यों ही सा हूँ, .. सो डॉक्टरेट आदि की संज्ञा से ही खौफ़ ही खाता हूँ.

फिरभी, आपकी सलाह है, आदरणीय.. सर-आँखों पर. ..

सादर

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2014 at 8:52pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , डॉक्ट्रेट तो कर ही डालिये , कहने का असर तो पड़ता है। शेष आपके सुझाव पर ध्यान रखूंगा।
सादर .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 26, 2014 at 6:58pm

१.  आप मुझे बलात डॉक्टरेट दिलवा कर ही मानेंगे ? साहब, मैं डॉक्टर नहीं हूँ. यह पिछली बार ही स्पष्ट कर चुका हूँ. कृपया इस मानद डिग्री को मुझ जैसों पर न चेंपिये, सर ! प्लीज..

२. मैं आपकी रचना के मूल भाव को समझ पाया हूँ, आदरणीय. तभी तो मैंने इसकी मुक्त प्रशंसा की है. फिर क्यों आप ग्लानि-भाव से भर उठे ?

३. हम अपनी रचनाओं के पाठकों के नाम धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में शुद्ध-शुद्ध लिखा करें, तो पाठकों को भी रचना पर दुबारा आने का उत्साह बनता है.

सादर. 

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 26, 2014 at 5:12pm

आदरणीय डॉ. सारौभ पांडे जी, बधाई के लिए धन्यवाद , बहुत .
संकेत यह था की राजतंत्र में जब राजा सबकुझ होता था , तीनों शक्तियों का स्वामी होता था तब भी वह अपराथ बोध और दंड से मुक्त नहीं था, पर अन्य तंत्र में ऐसा होता दिखता नहीं , शायद मैं इसे प्रकट कर नहीं पाया .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 26, 2014 at 1:57pm

लाक्षणिकता ने इतिहास के ’अघट’ को एक नया आयाम दिया है. आपकी रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 25, 2014 at 6:44pm
आदरणीय डॉ o गोपाल नरायन जी , आपको बहुत बहुत धन्यवाद .
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 25, 2014 at 10:54am

आदरणीय विजय जी

आपके  कहन ने इस चिर परिचित मिथक-कथा  को एक नया रूप दिया जो प्रभावित करता है i सादर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 24, 2014 at 10:47pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , रचना को आपने पसंद किया अच्छा लगा . बधाई के लिए धन्यवाद .
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 24, 2014 at 10:45pm
आदरणीय जीतेन्द्र जी , रचना को आपने मनोयोग से पढ़ा , पसंद किया अच्छा लगा . बधाई के लिए धन्यवाद .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी सादर प्रणाम । बहुत बहुत बधाई आपको अच्छी ग़ज़ल हेतु । कृपया मक्ते में बह्र रदीफ़ की…"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय DINESH KUMAR VISHWAKARMA जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। जो…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी आदाब। इस उम्द: ग़ज़ल के लिए ढेरों शुभकामनाएँ।"
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। इस जहाँ में मिले हर…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service