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बोल उठी सच हैं लकीरें तेरी पेशानी की(७६ )

(2122 1122 1122 22 /112 )
बोल उठी सच हैं लकीरें तेरी पेशानी की
इस जवानी ने बहुत जिस्म की मेहमानी की
**
क्या दिया कोई किसी अपने को धोका तूने
वज्ह  आख़िर तो कोई होगी पशेमानी की 
**
वक़्त का पहिया लगातार चले मर्ज़ी से
फ़िक्र उसको नहीं दुनिया की परेशानी की
**
आब जिस रूप में हो उसकी बशर है क़ीमत
तिश्नगी में ही ज़रूरत न फ़क़त पानी की
**
ज़िंदगी भर की सज़ा लिख दी मुक़द्दर में मेरे
क्यों ख़ुदा प्यार की इक छोटी सी नादानी की
**
क्या हुआ ज़ीस्त में गर पीरी ने दी है दस्तक 
इस में क्या बात भला दोस्त है हैरानी की
**
हाल मुफ़लिस के नहीं आज भी बेहतर हैं  ख़ुदा
है ज़रूरत उसे रब अब भी निगहबानी की
**
एक मिसरे से भला नज़्म कभी शेर हुआ
कुछ भी ऊला के बिना पूछ नहीं सानी की
**
आइना जानता है राज़ सभी तेरे 'तुरंत '
जिसने हर रोज़ तेरे रुख़ की नज़रसानी की
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 29, 2020 at 12:22am

आदरणीय Samar kabeer  साहेब , सच में आपकी नज़र बहुत तेज़ है , मैं लाख सर मारता तो भी मेरे समझ नहीं आती ये बात , जबकि आपकी नज़र सीधी वहीं गई है | सादर नमन | 

Comment by Samar kabeer on March 28, 2020 at 10:45pm
'हाल मुफ़लिस के नहीं आज भी बेहतर है ख़ुदा'
इस मिसरे में 'हाल मुफ़लिस के''के' शब्द की वज्ह से बहुवचन हो रहा है,अगर 'के' रखना है तो "हैं" कर लें,और अगर "है" रखना है तो 'के' की जगह "का" कर लें,उम्मीद है आप समझ गए होंगे ।
Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on March 28, 2020 at 9:55pm

आदरणीय Samar kabeer साहेब , आपकी हौसला आफ़जाई के लिए शुक्रगुज़ार हूँ | सादर नमन | क्या मुफ़लिस एक वचन है तो "है " नहीं होगा सर ,या यह शब्द एक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए "हैं " आएगा ? 

Comment by Samar kabeer on March 28, 2020 at 8:20pm

जनाब गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत' जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

'वज़ह आख़िर तो कोई होगी पशेमानी की '

इस मिसरे में 'वज़ह'  को 

"वज्ह" कर लें ।

'क्यों ख़ुदा प्यार की इक छोटी सी नादानी की'

इस मिसरे में 'की' शब्द दो बार खटकता है,इसे यूँ कर सकते हैं:-

'क्यों ख़ुदा प्यार में इक छोटी सी नादानी की'

'हाल मुफ़लिस के नहीं आज भी बेहतर है ख़ुदा'

इस मिसरे में 'है' को "हैं" कर लें ।

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