For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

RAHUL MEIN BAHUT DOSH HAI.............

JANE WOH KISKA THA SAAYA JISE CHUNE KO,
HUM BHATAKTE RAHE AWARA HAWAO KI TARAH.
PYAAR KE WASTE PYASHA HAI YE DIL SADIO SE,
AB TOH BARSO KOI SAAWAN KI GHATAO KI TARAH.
HAR ANDHERE SE SUBAH BANKAR GUJAR JAUNGA,
TERA AANCHAL JO RAHE SAR PE DUWAO KI TARAH.
AAJ PALKO MEIN MUJHE KHWAAB BANAKAR CHUPA LO,
KAL MAI KHO JAUNGA GUMNAAM GUFAO KI TARAH.
MUJHE SULJHANE MEIN TUM KHUD HI ULAJH JAOGE,
MERI ZINDGI HAI SADHU KI JATAO KI TARAH.
JI HAAN RAHUL MEIN BAHUT DOSH
HAI PHIR BHI,
MAAF KAR DO USE BACHO KI KHATAO KI TARAH."

Views: 363

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 7, 2010 at 9:04pm
bahut badhiya rahul jee...sahi me lajawab rachna hai ye aapki.....
aisehi likhte rahe......aage bhi aapki rachnaon ka intezaar rahega....

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 7, 2010 at 8:35pm
वाह वाह राहुल जी, क्या खूब कहा है:

// हर अँधेरे से सुबह बनकर गुज़र जाऊंगा
तेरा आँचल जो रहे सर पे दुआयों कि तरह !

मुझे सुलझाने में तुम खुद ही उलझ जायोगे
मेरी ज़िन्दगी है साधु की जटायों कि तरह ! //

अंदाज़-ए-बयां अच्छा है, ख्यालों में पुख्तगी है और लफ़्ज़ों का चुनाव सटीक है ! सफ़र जारी रखिये - मंजिल बहुत ज्यादा दूर नहीं ! और मेरा विश्वास करें, राहुल में कोई भी दोष नहीं, भगवान आपकी कलम को हमेशा सच कहने की शक्ति दे !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service