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क्या आप सच में वैसे ही हैं ? --- अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

मेरे सबसे प्रिय रचनाकार  

कभी प्रत्यक्ष मिला नहीं आपसे

सपना है मेरा ,

आपसे मिलना , बातें करना

घंटों ,

किसी झील के किनारे

सूनसान में

 

आपकी हर रचनायें

गढती जाती है

मेरे अन्दर आपको

बनती जाती है

आपकी छवि ,

कभी धुंधली , कभी चमक दार , साफ साफ

क़ैद है मेरे दिलो दिमाग़ में

आपकी रचनाओं की सारी खूबियों के साथ

आपकी एक बहुत प्यारी छवि

 

क्या आप सच में वैसे ही हैं

जैसी आपकी रचनायें बनातीं हैं आपको

मन डरता भी है

कभी कभी

सोचने लगता है  

आपकी रचनायें आपके दिल का अनुवाद है या नहीं ?

कहीं दिमागी गुणा भाग ही न हो

शब्दों से अर्थ कमाने की

एक नितांत बाहरी कोशिश मात्र

 

मन डरता है , मिलने से

ख़्वाब के टूट जाने की आशंकाओं से

क्या आप सच में वैसे ही हैं

जैसी आपकी रचनायें  ? ॥

**********************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2015 at 7:44am

आदरणीय खुरशीद भाई , आपने रचना की भावना को छू कर मेरा लेखन कर्म सार्थक कर दिया । आपका दिल से आभारी हूँ ।

Comment by khursheed khairadi on February 3, 2015 at 9:47am

आपकी रचनायें आपके दिल का अनुवाद है या नहीं ?

कहीं दिमागी गुणा भाग ही न हो

शब्दों से अर्थ कमाने की

एक नितांत बाहरी कोशिश मात्र

आदरणीय गिरिराज सर ,आपने बहुत सुन्दर व्यंजना के जरिए रचनाधर्मिता को परिभाषित किया है|वास्तव में जब तक गम-ए-जाना और गम-ए-दौराँ का अक्स रचना में न हो ,रचना बनावटी सी लगती है |भाषाविद होने की बजाय कवि होना एक साधना है |हम साधकों पर आपका आशीर्वाद बना रहे |सादर अभिनन्दन |  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 12:31pm

आदरणीय राम शिरोमणि भाई , रचना को आपका अनुमोदन मिला , बहुत खुशी हुई ! आपका आभार ।

Comment by ram shiromani pathak on February 1, 2015 at 10:18am
कभी कभी मुझे भी ऐसा लगता है आदरणीय।।इस सुन्दर भवभिव्यक्ति के लिए बधाई आदरणीय

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 9:49am

आदरणीय शिज्जु भाई , आपका कहना सही है , रचनाकार स्वयं उत्तर नही दे पाता , लेकिन ये भी सच है कि रचनाकार की रचनायें उनकी एक इमेज पाठकों के दिलो दिमाग मे बनाती चलती है । इस लिये खुद के जितना क़रीब हो सकें लिखते समय  उतना की अच्छा होता है , ऐसा मुझे लगता है । सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।


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Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2015 at 9:44am

आदरणीया प्रतिभा जी , आपकी इस प्रतिक्रिया ने मेरा लेखन कर्म सार्थक कर दिया । आपकी सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ । 


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Comment by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2015 at 9:26am

क्या आप सच में वैसे ही हैं
यह प्रश्न ऐसा है कि बहुधा खुद रचनाकार इसका उत्तर नहीं दे सकता । बहुत खूबसूरत भावों से सजी रचना है बहुत बहुत बधाई आपको


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Comment by गिरिराज भंडारी on January 31, 2015 at 10:14am

आदरणीय विजय भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 31, 2015 at 10:13am

आदरणीय सोमेश भाई , रचना की सराहना के लिये दिली शुक्रिया ।

Comment by vijay on January 31, 2015 at 9:27am
वाह क्या खूब चित्र उकेरा है
बेहतरीन
मई मुरीद हुआ

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