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चुभती साँसें मत देखा कर

ख्वाब पुराने मत देखा कर,
धुंधली यादें मत देखा कर,

और भी दर्द उभर आयेंगे,
दिल के छाले मत देखा कर,

जीवन में पैबंद बहुत हैं,
मूँद ले आँखें मत देखा कर,

अपने घर कि बात अलग है,
घर औरों के मत देखा कर,

कहने वाले बस कहते हैं,
दिन में सपने मत देखा कर,

जीवन का जब जोग लिया है,
चुभती साँसें मत देखा कर,

- आकर्षण

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 13, 2011 at 8:44pm
आकर्षण जी, अच्छी ग़ज़ल कही है आपने , बधाई और दाद स्वीकार कीजिये |
Comment by Aakarshan Kumar Giri on February 13, 2011 at 6:41pm
आप सबों का आभार....
Comment by Abhinav Arun on February 13, 2011 at 4:02pm
क्या बात है आकर्षण अपने नाम के अनुरूप सशक्त गज़ल कही आपने |शुभकामनाएं

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