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छोटी खुशियाँ
गम पहाड़ से
फिर भी जीना
अच्छा लगता है
गम से लड़कर खुशियाँ पाना
अच्छा लगता है
दर्द बहुत है जीवन में
पर हाथ कोई मरहम का फेरे
अच्छा लगता है
खाकर तीखा और चटपटा
मीठा कुछ मिल जाए तो
अच्छा लगता है

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 17, 2014 at 11:46pm

छोटी खुशियाँ
गम पहाड़ से
फिर भी जीना
अच्छा लगता है...........बहुत सुंदर, इन्ही सकारात्मक सोच से जीवन की निरंतरता बनी रहती है

बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया प्रज्ञा जी

Comment by Omprakash Kshatriya on March 16, 2014 at 7:30am
छोटी खुशियाँ
गम पहाड़ से
फिर भी जीना
अच्छा लगता है....................... अच्चा लगता है . बधाई .

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