For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राह के कांटें हुए बलवान भी

"राह  के  कांटें  हुए  बलवान  भी"

आप की खातिर है हाजिर जान भी।
हाथ  का  पंजा  हुआ  हैरान  भी।।


कोरे कागज का कमल खिलता नहीं,
आज कल भौंरे करें पहचान भी।


अब चुनावी दौर का मंजर यहां,
बढ़ रही है रैलियों की शान भी।


भुखमरी-बेकारी सिर चढ़ बोलती,
हर किसी रैली में जन वरदान भी।


खो गर्इ है शान-शौकत-आबरू,
बो रहे हैं लोभ-साजिश-धान भी।


अब भरोसा भी नहीं उस्ताद पर,
गिरगिटों के रंग में इंसान भी।


जिन्दगी का रास्ता मुशिकल हुआ,
राह  के  कांटें  हुए  बलवान  भी।।


के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 27, 2014 at 8:34pm

आ0 मुकेश भाई जी,  आपके स्नेह और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on March 25, 2014 at 8:19pm

कोरे कागज का कमल खिलता नहीं,
आज कल भौंरे करें पहचान भी।

बहुत बढ़िया प्रसाद जी..

बहुत खूबसूरती से आपने इस तरही ग़ज़ल को पेश किया है..वैसे तो आपने ऊपर लिख दिया है पर अगर सिर्फ़ मक़ते मे ही मिसरे को कोट करके लिख दिया जाए तो..पढ़ने वाला अपने आप समझ जाता है..

बहुत मुबारकबाद

"चिराग"

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 25, 2014 at 6:14pm

आ0 सौरभ सर जी, -- बह्र -- 2122,  2122, 212  है।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 25, 2014 at 6:09pm

आ0 सौरभ सर जी, सादर प्रणाम!  ओ0बी0ओ0 के ब्लाग पर किसी भी रचना पर आपकी टिप्पणी मेरे लिए आस्कर पुरूस्कार से कम नहीं है। रचना पर आपकी उपस्थिति ऊर्जा प्रदान करती है।  आपका हार्दिक आभार। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 22, 2014 at 9:53pm

इस ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई, भाईजी.
यह अवश्य है कि तनिक और समय इस प्रस्तुति को आपकी सबसे अच्छी प्रस्तुतियों में शुमार करवा देता. समसामयिक होने के साथ यह ग़ज़ल बहुत कुछ है.

आपने ग़ज़ल के मिसरों के वज़्न क्यों नहीं दिये भाई ? वैसे, ग़ज़ल अच्छी हुई है. पुनः हार्दिक बधाई.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 5, 2014 at 7:17pm

आ0 प्रदीप सर जी,  सादर प्रणाम!   आपका हार्दिक आभार। सादर,

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 1, 2014 at 9:02pm

अब भरोसा भी नहीं उस्ताद पर, 
गिरगिटों के रंग में इंसान भी।

आदरणीय 

सादर 

सब बिकाऊ हैं. सही खाका वर्तमान का 

बधाई 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 1, 2014 at 7:02pm

आ0  रामानी जी व अन्नपूर्णा जी, सादर प्रणाम!  आप लोगों का बहुत-बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 1, 2014 at 7:00pm

आ0 भण्डारी व जितेन्द्र भार्इ जी,   सादर प्रणाम!  आप लोगों का हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by annapurna bajpai on March 1, 2014 at 1:29pm

आ0 केवल भाई जी बहुत सुंदर गजल बधाई आपको । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
6 hours ago
Admin posted discussions
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
17 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service