For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब तो प्रभु दर्शन दे दो ......

तरसे दरशन को ये नैना
थकी राह निहार दिन रैना,
तुम बिन इक पल मिले न चैना
अब तो प्रभु दर्शन दे दो
बीती जाये उमरिया ||


हृदय दीप सांसों की बाती
ज्योति जलाय निहारूँ झाँकी
असुअन पुष्प चढ़े दिन राती
अब तो प्रभु दर्शन दे दो
बीती जाये उमरिया ||


प्रीत तेरी रम गई ऐसी
सुधि न रही अब तन,मन,धन की
लाज शरम तजि हुई बावरिया ||
अब तो प्रभु दर्शन दे दो
बीती जाये उमरिया ||


टेर-टेर विकल भई काया
तकि-तकि राह उमर गवांया
झर-झर नीर बहावत अखियाँ
अब तो प्रभु दर्शन दे दो
बीती जाये उमरिया ||


इक-इक कर बिसर गयीं बतियाँ
नीर बहा हेराई अखियाँ
भँवर बीच है जीवन नइया
अब तो प्रभु दर्शन दे दो
बीती जाये उमरिया ||


श्याम रंग से रंग चुनरिया
मन भाये मोरा साँवरिया
बैरन भई मोरी बसुरिया
अब तो प्रभु दर्शन दे दो
बीती जाये उमरिया ||

पल-पल तरसत जिय हुलसाए
शीत,अनल,जल समझ न आए
चरण शरण लो हे साँवरिया
अब तो प्रभु दर्शन दे दो
बीती जाये उमरिया ||

मीना पाठक 
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 809

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on February 4, 2014 at 1:38pm

बहुत बहुत शुक्रिया अनीता 

Comment by Meena Pathak on February 4, 2014 at 1:37pm

आदरनीया प्राची जी इतने अच्छे से समझाने के लिए तहेदिल से आभार स्वीकार कीजिये ..प्रयास कर रही हूँ शिल्प को थामने की पर हर बार कमी रह जाती है ... :((

Comment by Anita Maurya on February 4, 2014 at 1:12pm

बहुत ही सुन्दर भाव है दी, प्राची जी की बातें गौर करने लायक हैं, मैं भी बहुत नही जानती लेकिन आपके माध्यम से मुझे भी सीखने को मिलेगा, ऐसी उम्मीद है। सुन्दर रचना के लिए बधाई।  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 4, 2014 at 12:51pm

प्रभु प्रेम में सर्वस समर्पित करती सुन्दर भाव प्रस्तुति... इसके लिए आपको साधुवाद आदरणीया 

भावों को इस तरह से सहेजना कि मनोदशा भी अभिव्यक्त हो और प्रस्तुति भी संयत रहे यह सम्प्रेषण के लिए बहुत ज़रूरी है..

जब रचनाकर्म आपकी रूचि है तो सम्प्रेषण के सार्थक स्पष्ट आयामों को समझने का आग्रही भी आपको होना ही चाहिए.... 

क्या रचना आंचलिक लिखनी है या सामान्य हिन्दी में ?

क्या हर बंद का संयोजन एक सा रखना है ?

तुकांतता का निर्वाह कहाँ कहाँ किया जाता है और कैसे किया जाता है ?

क्या यही भाव थोड़े कम शब्दों में और सांद्रता के साथ प्रस्तुत किये जा सकते हैं ?

किस तरह की अंतर्गेयता व्यस्था रखनी है ?

ये सब कुछ मूलभूत बाते हैं जो रचना के ढाँचे को तैयार करती हैं... फिर उनमें अपने भाव पिरोने होते हैं.

इन सात्विक समर्पण भावों को सुदृढ़ शिल्प का आधार न मिल पाने के कारण प्रस्तुति बिखरी बिखरी सी लगी..

पुनः इन भावों की शुचिता के लिए आपको हृदय तल से बधाई 

उम्मीद है कि मेरा कहा सार्थक लगेगा .

सस्नेह शुभकामनाएं 

Comment by Meena Pathak on February 4, 2014 at 12:43pm

आदरणीय नीरज 'प्रेम' जी हृदयतल से आभार स्वीकारें 

Comment by Meena Pathak on February 4, 2014 at 12:42pm

आदरणीय मदन मोहन जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Meena Pathak on February 4, 2014 at 12:41pm

आदरणीय सौरभ सर जी रचना को समय देने के लिए हृदय से आभार | सादर 

Comment by Neeraj Nishchal on February 4, 2014 at 11:24am

मैंने एक गाना बचपन में लिखा था उस से काफी मिलता जुलता आपने लिखा है

बीती जाए उमरिया , अब तो आजा सावंरिया ,
तेरी राह तके दिन रैना ।
मेरे प्यासे प्यासे नैना ।

बहुत बहुत तहे दिल से बधाई आपको
और बहु अच्छा लगा भावों और शब्दों का ये मेल देख कर ।

Comment by Madan Mohan saxena on February 4, 2014 at 11:15am
बहुत सुंदर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2014 at 4:46am

जय हो..   शुभ-शुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service