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१-मूक भाषा

उनसे बात करने के लिए
शब्दों कि आवश्यकता नहीं
पता है क्यूँ ?मेरा
सन्देश वाहक "मौन" है//

२-कोशिश

आज फिर से वो पकड़ा गया
कुछ नया करने कि चोर कोशिश में //

३-चैन कि नींद

शायद इस दुनियां से ऊब गया था
तभी तो
बड़ा सा पत्थर ओढ़कर सो गया है //

४-ऐसा भी

बड़े अज़ीब लोग है
पीट रहे हैं उसे
और उसी से ज़ुर्म भी पूछ रहे है //

५-नाकाम कोशिश

फिर से वही नाकाम कोशिश
आईने के सामने खड़े होकर
उम्र को खीचकर लंबा करने की//
***********************************
मौलिक/अप्रकाशित
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

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Comment

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Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 6:05pm

अमूल्य सुझाव के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी,बहुत दिनों  बाद पेन हाथ में आयी थी। ……।सादर  

Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 6:04pm

बहुत बहुत आभार भाई अखिलेश जी 

Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 6:03pm

बहुत बहुत आभार सारिका जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 15, 2014 at 3:16pm

बड़े अज़ीब लोग हैं,
पीट रहे हैं उसे
और उसी से पूछ रहे हैं,

बता तूने किया क्या है ?

वाह राम भाई वाह, बहुत बढ़िया, क्षणिकाओं को तनिक और घिसिये, बधाई |

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 15, 2014 at 12:55pm

क्षणिकाएँ अच्छी लगी , बधाई राम  भाई ।

Comment by sarika choudhary on January 15, 2014 at 12:51pm

फिर से वही नाकाम कोशिश 
आईने के सामने खड़े होकर 
उम्र को खीचकर लंबा करने की

uffffff.............

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