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ग़ज़ल: मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है

बहर: हज़ज़ मुसम्मन सालिम

१२२२, १२२२, १२२२, १२२२

मिलन अपना नहीं संभव जुदाई में समस्या है,

अधूरी प्रेम की पूजा कठिन दिल की तपस्या है,

लगे जो ठीक तुझको कर समर्पित है तुझे जीवन,

नमन तुझको हमेशा दिल तेरी करता नमस्या है,

अमावश सी अँधेरी रात चाहत के घरौंदे में,

बिछी आँगन में काँटों से बनी कोई पयस्या है,

उठा तूफान भीषण टूटके बिजली गिरी दिल पर,

भरा सागर दुखों का है बही गम की रहस्या है,

हुई है वर्फबारी गर्म यादों पर निगाहों की,

लगी दीवार पे दिल की हुई कच्ची वयस्या है.

शब्दार्थ

नमस्या : पूजा, पयस्या : घास

रहस्या : नदी, वयस्या : ईंट

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by अरुन 'अनन्त' on August 27, 2013 at 5:14pm

हार्दिक आभार सोनम जी आदरणीया अन्नपूर्णा जी

Comment by vandana on August 27, 2013 at 7:55am

नए  शब्द और बेहतरीन भावों को संजोये बहुत बढ़िया ग़ज़ल 

Comment by Vasundhara pandey on August 27, 2013 at 6:59am

आदरणीय अरुण जी ...वाह-वाह तो नही कहूँगी...कई बार हम सब अपने अन्दर के तूफ़ान को शब्दों द्वारा उकेर देते हैं..

लगे जो ठीक तुझको कर समर्पित है तुझे जीवन,

नमन तुझको हमेशा दिल तेरी करता नमस्या है,

ये पंक्तियाँ बहुत भारी है ...किसी अपने को एक जीवन जीने के लिए...

कई शब्द बहुत प्यारे लगे और नया भी....नमस्या, पयस्या,रहस्या, वयस्या....अद्भुत सा लगा सब कुछ बधाई आपको प्यारी गजल के लिए...!!

Comment by बृजेश नीरज on August 26, 2013 at 9:57pm

बहुत खूब आदरणीय अरुन भाई! गहन भाव लिए आपकी इस रचना से कई नए शब्द भी सीखने को मिले। आपको हार्दिक बधाई!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 26, 2013 at 8:46pm

आ0 अरून अनन्त भाई जी, /लगे जो ठीक तुझको कर समर्पित है तुझे जीवन
नमन तुझको हमेशा दिल तेरी करता नमस्या है/ -----वाह! बेहतरीन गजल। हृदयतल से बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on August 26, 2013 at 8:26pm

हुई है वर्फबारी गर्म यादों पर निगाहों की,

लगी दीवार पे दिल की हुई कच्ची वयस्या है.///////////वाह भाई 

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हार्दिक बधाई आपको भाई अरुण शर्मा जी ///सादर

 

Comment by annapurna bajpai on August 26, 2013 at 7:50pm

adarniy arun sharma ji bahut sundar gazal ke liye hardik badhai swikaren .

Comment by Shyam Narain Verma on August 26, 2013 at 5:39pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………
Comment by Sonam Saini on August 26, 2013 at 2:38pm

 अच्छी ग़ज़ल लिखी है......... बधाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 12:48pm

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज सर जी स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

कृपया ध्यान दे...

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