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जन गण मन के अधिनायक

कौन हो तुम ?

जन गण मन के अधिनायक.

कहाँ रहते हो ?

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ.

बरसों से हूँ मैं तुम्हारी खोज में,

तुम शून्य हो या हो सर्वव्यापी,

ईश्वर की तरह .

कौन हो तुम ?

तुम भारत भूमि तो नहीं ,

भारत तो माता है,

माता कभी अधिनायक तो नहीं होती .

तुम हो भारत भाग्य विधाता .

फिर बदला क्यों नहीं भारत का भाग्य.

भारत के भाग्य का ऐसा क्यों लिखा विधान.

कैसे विधाता हो ?

तुम्हारा स्वरुप तुम्हारी प्रकृति कैसी है?

मैं तुम्हारी जय कहना चाहता हूँ

मन मथ रहा है ..

............... नीरज कुमार ‘नीर’

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by D P Mathur on August 15, 2013 at 9:27am

आदरणीय नीरज जी नमस्कार, सभी प्रशन तार्किक हैं , बहुत ही सुन्दर रचना है यह , आपको बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 15, 2013 at 9:06am

कमो बेश हर दिमाग मे यही प्रश्न है , आपने उसे शब्द दे दिया !! वाह !!

Comment by वीनस केसरी on August 15, 2013 at 3:12am

अच्छी नज़्म हुई है ...

प्रश्न से घिरे हुए हैं आज आप और हम ..
उत्तरों को खोजते हैं आज आप और हम

हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

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