For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"मैं"

इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की

किसी ने कहा

भावुकता निश्छलता का प्रतीक है

तो किसी ने कहा पवित्रता का ..

 

'ना' भावुकता न तो निश्छलता का प्रतीक है

और न ही पवित्रता का ..

ये तो प्रतीक है

हर पल छले जाने की तत्परता का ..

 

'हाँ'

छली जाती हूँ मैं , हर दम, हर कदम

कभी अपनों के हाथों, तो कभी गैरों के

कभी साहिलों से, तो कभी लहरों से,

 

कई बार चाहा ,

हो जाऊं 'धरा'

रहूँ  'अचल'

बन जाऊं  'दरिया'

बहूँ  'अविरल'

 

पर नहीं बन सकी मैं 'धरा'

और ना ही 'दरिया'

क्यूंकि

'मैं ' हूँ

इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की

पग पग पर छली गयी मैं.. टूटती बिखरती मैं..

Views: 319

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhay Kant Jha Deepraaj on December 27, 2010 at 2:26am
Aneeta Jee, Its really a heart hunting expression. Thanks for it. Abhay.....
Comment by madan kumar tiwary on December 17, 2010 at 7:10pm

बहुत हीं अच्छी लगी आपकी कविता । प्रयास करे प्रकाशित करवाने का । वाकई ओपेन बुक यह अच्छी जगह लगी।

Comment by Rash Bihari Ravi on December 17, 2010 at 2:47pm

wah kya bat hai khubsurat

Comment by Anita Maurya on December 17, 2010 at 1:01pm

bahut bahut sukriya .. Ganesh ji.. aapka badhai dena sarthak kar gaya mere likhne ko...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 17, 2010 at 10:31am

पर नहीं बन सकी मैं 'धरा'

और ना ही 'दरिया'

क्यूंकि

'मैं ' हूँ

इक भावुक, बहुत ही भावुक लड़की....

 

वाह अनीता जी वाह, यक़ीनन आप ने यथार्थ को नजदीक से देखा है क्योकि युही कोई रचना नहीं बनती, बेहतरीन काव्य कृति | बधाई स्वीकार करे .....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
19 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
22 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
22 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service