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रिश्ता.... 

ख्वाब नहीं है 

ये मेरा ख्याल नहीं है 

ये तेरा सवाल नहीं है 

रिश्ता ..... 

किसी  के लिए चाँद है 

किसी के लिए ख्वाब है 

तो किसी के लिए कसक है 

किसी के लिए महक है 

रिश्ता .... 

बहता पानी है 

मानो तो अमृत है 

न मानो तो बहता पानी है 

रिश्ता .... 

रेत है 

जितना पकड़ो 

सरकता जाता है 

रिश्ता तो रिसता है 

रिश्ता ..... 

खून का हो 

या हो तेरा, या हो मेरा 

रिश्ता तो रिसता है .... 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 590

Comment

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Comment by शुभांगना सिद्धि on June 30, 2013 at 8:36pm

रिश्ता ..... 

खून का हो 

या हो तेरा, या हो मेरा 

रिश्ता तो रिसता है .... बढ़िया 

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 12:22pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय बब्बन सर.....

Comment by Dr Babban Jee on June 30, 2013 at 12:01pm

Rishton ki kahani bayan karne ke liye bahut-bahut badhai Amod ji...bahut hi sundar rachna

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:57am

आदरणीय जितेंद्र जी बहुत बहुत आभार .... आपके प्रोत्साहन के लिए॥ 

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:56am

आदरणीय बसंत नेमा जी आभार .... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:56am

आदरणीय रामकुमार नेमा जी बहुत खूब रचना ... धन्यवाद ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:55am

आदरणीय श्याम नारायन वर्मा जी... धन्यवाद ... ।

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:54am

आदरणीय विजय मिश्र जी ॥ आभार ॥ बहुत बहुत ......

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:54am

आदरणीय मुकर्जी जी मे धन्य हुआ आपके प्रोत्साहन से ... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:53am

आदरणीया गीतिका वेदिका जी आभार... आपकी टिप्पड़ी का ... मे अभिभूत हुआ ... 

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