For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे द्वारा हल्द्वानी आयोजन में प्रस्तुत की हुई नज्म/गीत

जख्म कांटो से खायें  हैं हमें फूलों को सताना नहीं आता 

इश्क़े सफीने  बचाए हैं हमे तूफाँ में डुबाना नहीं आता 

 

तुम   बुजदिली कहलो या समझो शाइस्तगी मेरी  

 हुए सब अपने पराये हैं हमे  सच्चाई  छुपाना नहीं आता 

 

किसी ने दिल से निकाला ,  किसी ने राह में फेंका 

सर पे हमने बिठाए हैं हमे ठोकर से हटाना नहीं आता    

 

 कभी  ना  बेरुखी भायी   कभी ना नफरतें पाली 

दिलों में ही घर  बसाए हैं हमें महलात बनाना नहीं आता 

 

शहर में  धर्मों   के  भूसों   के  बड़े ढेर लगे हैं   

क्यों वो माचिस थमाए हैं  हमें चिंगारी लगाना नहीं आता 

 

जहाँ में  ईंटें भी देखी  सामने फर्ज भी देखे  

प्यार के सेतु बनाये हैं हमे दीवारें बनाना नहीं आता  

 

निज नस नस में बसी देश की माटी  की है खुशबू  

जब चाहे परदेस में जाएँ हमे स्वदेश भुलाना नहीं आता  

 

क्या होती है आजादी ,उनके परों  पे लिखा है  

दुखी पंछी उडाये हैं हमे पिंजरों में सजाना  नहीं आता  

 

'राज' ने जीत भी देखी औ  कभी हार भी देखी 

लम्हे दिल में छुपाये हैं हमें दुनिया को जताना नहीं आता 

************************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2013 at 6:12pm

ब्रजेश नीरज जी आपको नज्म पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ आपको वहां न देखकर अफ़सोस तो हमे भी हुआ । 

Comment by बृजेश नीरज on June 24, 2013 at 6:06pm

आदरणीया बहुत सुन्दर! काश! मैं आयोजन में सम्मिलित हो पाता और इसका सस्वर पाठ सुन पाता। अफसोस फिर ताजा हो गया।
आपको हार्दिक बधाई इस सुन्दर रचना के लिए!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2013 at 1:40pm

हार्दिक आभार डॉ राज जी |

Comment by DrRaaj on June 24, 2013 at 1:37pm

क्या बात है अति सुंदर |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2013 at 1:00pm

प्रिय गीतिका जी  मैं खुशनसीब हूँ की मुझे इतने अच्छे साहित्य की गंभीरता को समझने वाले श्रोता और दर्शक /मित्र मिले आपके साथ उन सभी की सराहना की ऋणी हूँ ,ऐसे पल कभी भुलाए नहीं जा सकते तहे दिल से शुक्रिया । 

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 12:48pm

बहुत खूब गजल की रचना की आपने आदरणीया!

तुम   बुजदिली कहलो या समझो शाइस्तगी मेरी  

 हुए सब अपने पराये हैं हमे  सच्चाई  छुपाना नहीं आता 

 

हम खुश नसीब है हमने इस गजल को सस्वर सुना है :)))

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2013 at 12:47pm

आदरणीय बसंत  नेमा जी नज़्म  आपके दिल को छू सकी मेरे लेखन को सार्थकता मिली तहे दिल से आभार |

Comment by बसंत नेमा on June 24, 2013 at 12:40pm

बहुत ही सुन्दर नज्म, नज्म की  हर पंक्ति  दिल मे उतर गई सीधी ..... बिना किसी रुकावट के ..... बधाई हो 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 24, 2013 at 11:58am

प्रिय अरुन हार्दिक आभार आपको नज्म पसंद आई हल्द्वानी में जो नहीं आये थे उन सब को हमने भी मिस किया बहुत अच्छा आयोजन था 

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 24, 2013 at 11:52am

आदरणीया बहुत ही बेहतरीन नज्म लिखी है आपने काश सस्वर सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो पाता, खैर इस सुन्दर नज्म हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service