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आज फिर बरसे हैं
बादल जोर से.
मन बहकने सा लगा है ...!!
 
धुल गए पत्ते सभी
लग रहे सब ही नए ,
छू गई हौले से फिर ,
खुशबू कोई,
मन महकने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से.
 
इक घटा है घोर काली 
लड़ रही है पास वाली ,
प्रीत की,लगतीं पुजारन
बिजलियाँ,
मन दहकने सा लगा है ...!!
आज फोर बरसे हैं बादल जोर से.
 
सांवली सी हो गई हूँ
और चंचल हो गई हूँ,
गा रही हूँ,
गीत तेरी याद में ,
मन तड़पने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से

     ~.भावना.~
मौलिक/अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Pragya Srivastava on June 7, 2013 at 11:46am

भावना जी,

सांवली सी हो गई हूँ

और चंचल हो गई हूँ

अति सुंदर

Comment by aman kumar on June 7, 2013 at 10:54am

बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ......

Comment by रविकर on June 7, 2013 at 10:02am

पसंद आई रचना-
आभार आदरेया-

Comment by Shyam Narain Verma on June 7, 2013 at 10:00am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ................
Comment by Abid ali mansoori on June 6, 2013 at 9:56pm
आदरणीय भावना जी इस सुन्दर गीत के लिए बधाई स्वीकार करेँ!

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