For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरु वंदन //छंद झूलना (प्रथम प्रयास) ...डॉ० प्राची

छंद झूलना 

(२६ मात्रा,  ७,७,७,५ पर यति , चार पद , अंत गुरु लघु )

गुरु ज्ञान दो, उत्थान दो, वंदन करो स्वीकार 

अनुभव प्रवण, उज्ज्वल वचन, हे ईश दो आधार 

तज काग तन, मन हंस बन, अनिरुद्ध ले विस्तार 

प्रभु के शरण, जीवन- मरण, पाता सहज उद्धार.....

Views: 1567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 26, 2013 at 8:32am

आदरणीय राजेश कुमार झा जी , रचना के भाव व ले प्रवाह की सहजता आपको पसंद आयी यह जान मन उत्साहित है ..हार्दिक आभार 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 7:10am

आदरेया डॉ. प्राची जी सादर बहुत सुन्दर झूलना छंद. आपने रचा भी बहुत सुन्दर है. एक जानकारी और दें, क्या सभी पदों के पहले और दुसरे चरण का तुक भी सामान होना आवश्यक है?

नवीन छंद से परिचय कराने के लिए हार्दिक आभार. और एक सुन्दर झूलना छंद रचाने के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by राजेश 'मृदु' on April 25, 2013 at 5:53pm

नया छंद मेरे लिए, पूरा विधान देकर आपने हमपर बड़ा उपकार किया । प्रभु को निवेदित इस छंद में सहजता लय प्रवाह सबकुछ बहुत ही सुंदर लगा, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2013 at 9:17am

प्रिय वंदना तिवारी जी,

रचना के भावों पर आपसे सराहना मिली, इस हेतु हार्दिक आभारी हूँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2013 at 9:16am

प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

इस  छंद में आपकी रूचि देख मुझे बहुत अच्छा लगा.. आप भी इस पर कलम आजमाएं 

शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2013 at 9:14am

आदरणीय गणेश जी, 

प्रभु लो शरण, जीवन -मरण, से हो सहज, उद्धार ..........में गेयता निर्बाध है, अब 'लो' पर जिव्हा का बालाघात बिल्कुल सही लग रहा है.

सादर आभार..

 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 25, 2013 at 9:08am

/////क्या इस पंक्ति को // लो प्रभु शरण, जीवन -मरण, से हो सहज, उद्धार // करना सही होगा...?////////

बात कुछ बन रही है , किन्तु अभी भी गेयता जरा सा बाधित है , यदि तनिक हेर फेर कर दिया जाय तो गेयता एक दम से सही हो जायेगी ...

प्रभु लो शरण, जीवन -मरण, से हो सहज, उद्धार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2013 at 9:07am

रचना की सराहना के लिए आभार केवल प्रसाद जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2013 at 9:07am

आदरणीय विजय निकोर जी 

रचना आपको पसंद आयी और आपका अनुमोदन प्राप्त हुआ इस हेतु हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 25, 2013 at 8:46am

अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार आ० ऊषा तनेजा जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service