For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चतुष्पदी ,चैापैया. (10, 8, 12 अन्त में दो गुरू)

जय अंजनि लाला, केसर बाला, पवन पुत्र सुखकारी।
तुम बाल प्यारे, शंकर सारे, अद्भुत लीला धारी।।
प्रभु देखि दिवाकर, फलम् समझकर, निगले भा अॅधियारी!
सृष्टि भई काली, ज्योति बिहाली, त्राहि त्राहि मम वारी।।1

छॅाड़े नहि रवि को, बड़े जतन सो, दैव आरत पुकारी।
इन्द्र अकुलाये, बज्र चलाये, हनुमत भय सुधहारी।।
कहॅू शंकर सुवन, केसरि नन्दन, बाल मुकुन्द सुरारी।
देवन्ह सब हरषे, कुसुमहि बरसे, वरद देत बलभारी।।2
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 544

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2013 at 7:14pm

आदरणीया डा0 प्राची सिंह जी, जी मैम! आप सभी का बहुत - बहुत आभार। हिन्दी की कक्षा भी ज्वाइन करूंगा। सादर प्रणाम !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 26, 2013 at 6:38pm

मेरी तरफ से केवल प्रसाद जी के सभी भ्रामक , छोटे छोटे संशयों का विस्तार पूर्वक निवारण करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी.

केवल प्रसाद जी, यकीनन आपकी हर शंका का प्रत्युत्तर आपको प्राप्त हो ही चुका होगा..

'हिन्दी की कक्षा' समूह में मात्रा गणना से सम्बंधित आलेख ज़रूर पढ़ें...

अन्य रचनाकारों की छान्दसिक रचनाओं को पढ़ें, समझें, और क्लिष्ट शब्दों की मात्रा गणना पर गौर करते चलें, बहुत जल्दी ही आप निर्दोष गणना करना सीख जायेंगे.

शुभकामनाएँ 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2013 at 6:19pm

आदरणीय श्री सौरभ पाण्डे जी, आपका बहुत बहुत आभार, हां! गुरूवर जी मेरे पास ‘काव्य के अंग‘ श्री लक्ष्मणदत्त गौतम द्वारा रचित तथा‘रस छन्द और अलंकार‘ श्री ओंकार नाथ वर्मा एवं अंशुल वर्मा द्वारा रचित पुस्तक है। अब ओ0बी0ओ0 पर भी छंद विधान भी पढ़ रहा हूं। गुरूजी मैं कुम्हार की मिट्टी की भांति र्निदोष हूं। आप लोगो की छत्र छाया में ही कुछ बेहतर कर पा रहा हूं। कृपया कृपा बनाए रखियेगा। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on March 26, 2013 at 6:15pm

ऋ संयुक्ताक्षर  नहीं होता है  भाई केवल प्रसाद जी गलती से लिख दिया था मैंने  क्षमा चाहूँगा जी !!!!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2013 at 5:54pm

आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी, बहुत बहुत आभार, हा गुरूवर आदरणीय श्री सौरभ पाण्डे जी ने भी स्पष्ट किया है। सादर,

Comment by ram shiromani pathak on March 26, 2013 at 5:37pm

सुन्दर छंद प्रयास हुआ है आo  केवल प्रसाद जी....मात्रा गणना पे 

ध्यान देनी की आवस्यकता है बड़े भाई...गुरुजनों की बात सही है ...मैंने आपको पहले भी बताया था! इसपे ध्यान दे -उदहारण .... संयुक्ताक्षर त्र ,क्ष,ज्ञ,ऋ इनका प्रारंभ में होना और अंत में होना क्या प्रभाव डालता है ..
बाकी रचना आपकी बहोत ही बढ़िया है!   सादर ..........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 26, 2013 at 5:11pm

आपकी प्रतिक्रिया मात्र पर मेरा उत्तर प्रस्तुत है. आपकी रचना को बाद में इत्मिनान से पढ़ूँगा -

1- पवन पुत्र सुखकारी! यहां ‘त्र‘ को गुरू माना है। क्या केवल चरणान्त में ‘त्र‘ आने पर ही गुरू होगा?

त्र स्वयं कभी गुरु नहीं होगा.बल्कि अपने से पहले के लघु वर्ण या अक्षर को गुरु कर देगा. त्र का पूर्ववर्ती गुरु वर्ण या अक्षर है तो उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. 


2- ‘तुम बाल प्यारे‘। के स्थान पर पहले ‘तुम बालक प्यारे‘ था। चूंकि ‘प्‘ बालक मे आने के कारण ही ‘तुम बाल प्यारे‘ सही समझा।

कुछ स्पष्ट नहीं हुआ कि ’तुम बालक प्यारे’ वाक्यांश को क्यों नहीं रखा गया.


3- ‘सृष्टि भई काली‘। में सृ-2 तथा ष्टि-1 कुल तीन मात्रा गिने है, क्योंकि ‘सृष्‘ पर अधिक बल पड़ रहा है। सही क्या होगा? पता नहीं।

‘सृष्टि भई काली‘ इस वाक्यांश की कुल मात्रा १० है.

सृष्टि शब्द में ष्टि के संयुक्ताक्षर होने से सृ लघु होता हुआ भी गुरु होगा. ष्टि की मात्रा एक ही होगी.


4- ‘इन्द्र अकुलाय, बज्र चलाए‘। द्र तथा ज्र को गुरू गिना गया है। सही क्या होगा? पता नहीं।

विन्दु ३ में सृष्टि की मात्रा गणना में उत्तर निहित है. आप मात्रा गणना पर अवश्य अभ्यास करें. सम्बद्ध लेख इसी मंच के भारतीय छंद विधान समूह में हैं.


5- ‘देवन्ह सब हरषे‘। के स्थान पर पहले मैंने ‘देवन‘लिखा था, किन्तु ‘कन्हैया, जुन्हैया, तुम्हारी‘ मे क, जु, तु आदि लघु होते हैं। इसलिए ही ‘देवन‘ के स्थान पर ‘देवन्ह‘ ज्यादा प्रभावशाली लगा।

मात्रा गणना आंचलिक शब्दों और खड़ी बोली के लिए आवश्यक शब्दों के लिहाज से करें. विन्दु ५ में जो आपने जो कुछ स्पष्ट किया है वह कहाँ से सुना-सीखा है ? इसे स्पष्ट करें तो मैं आपसे विशेष कह पाऊँगा.  छंद् अजानकारी के नाम पर अन्यथा और भ्रामक विचार भी फैले हैं. आपको इस तथ्य के प्रति अगाह न कर, आपसे यह तथ्य साझा कर रहा हूँ.

शुभेच्छाएँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2013 at 4:14pm

आदरणीया डा0 प्राची सिंह जी, सादर प्रणाम।
मैंने प्रस्तुत छंद 10,8,12 कई बार पढ़ने एवं मात्रा गिनने के पश्चात् ही ब्लाग पोस्ट किया था, फिर भी त्रुटि हो गई। लगता है अभी मात्रा गणना में कहीं संदेह रह गया है! मैम, मैं अपनी शंका स्पष्ट रूप से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। कृपया अपना आशीष स्वरूप निर्देश देने की कृपा करें-
1- पवन पुत्र सुखकारी! यहां ‘त्र‘ को गुरू माना है। क्या केवल चरणान्त में ‘त्र‘ आने पर ही गुरू होगा?
2- ‘तुम बाल प्यारे‘। के स्थान पर पहले ‘तुम बालक प्यारे‘ था। चूंकि ‘प्‘ बालक मे आने के कारण ही ‘तुम बाल प्यारे‘ सही समझा।
3- ‘सृष्टि भई काली‘। में सृ-2 तथा ष्टि-1 कुल तीन मात्रा गिने है, क्योंकि ‘सृष्‘ पर अधिक बल पड़ रहा है। सही क्या होगा? पता नहीं।
4- ‘इन्द्र अकुलाय, बज्र चलाए‘। द्र तथा ज्र को गुरू गिना गया है। सही क्या होगा? पता नहीं।
5- ‘देवन्ह सब हरषे‘। के स्थान पर पहले मैंने ‘देवन‘लिखा था, किन्तु ‘कन्हैया, जुन्हैया, तुम्हारी‘ मे क, जु, तु आदि लघु होते हैं। इसलिए ही ‘देवन‘ के स्थान पर ‘देवन्ह‘ ज्यादा प्रभावशाली लगा।
अतः आपसे करबध्य आग्रह है कि उक्त के अतिरिक्त भी कहीं गलती हुई हो तो कृपया आशीष स्वरूप आवश्यक निर्देश देने की कृपा करें। रचना पर आपकी दया दृष्टि हेतु मैं बहुत बहुत आभारी हूं। आदर सहित,
आपका स्नेहाकांक्षी
अकिंचन केवल प्रसाद
26.03.2013


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 26, 2013 at 11:20am

सुन्दर छंद प्रयास हुआ है आo  केवल प्रसाद जी
बाल हनुमान की रवि-भक्षण लीला को सुन्दर शब्दाभिव्यक्ति देने के लिए बधाई।
मात्रा गणना एक बार पुनः जाँच लीजिये।
शुभकामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service