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तुमको लिखते हाथ कांपते

तुमको लिखते हाथ कांपते

अक्‍सर शब्‍द सिहरते हैं

तुम क्‍‍या जानो तुमसे मिलकर

कितने गीत निखरते हैं

कर लेना सौ बार बगावत

पल भर आज ठहर जाओ

तेरा-मेरा आज भूलकर

चंदन-पानी कर जाओ

 

तुम बिन मेरा सावन सूखा

बादल खूब गरजते हैं

देख रहे जो झिलमिल लडि़यां

बहते अश्‍क लरजते हैं

 

कैसे लिख दूं बदन तुम्‍हारा

बड़ी कश्‍मकश है यारा

बदनाम चमन अंजाम सनम

कलम बिगड़ती है यारा

 

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं

 

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Comment

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Comment by राजेश 'मृदु' on December 11, 2012 at 2:57pm

आभार प्रदीप जी

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 2:13pm

तुमको छूकर नजर नाचती

जख्‍म सूखकर झरते हैं

सच कहते हैं तेरे बिन हम

ना जीते ना मरते हैं

 बधाई सर जी 

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