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कोई बाबा निर्मल नहीं

सब मन के बड़े मैले हैं ,

दौलत के ढेर पर बैठे

ये ठग बड़े लुटेरे हैं ,

व्यापार इनका धर्म है

धर्म का करते कारोबार ,

कोई पाप इनसे छूटा नहीं

ह्त्या हो या यौनाचार ,

लिंग भेद ये मानते नहीं ,

बच्चा हो या नार ,

आश्रम में इनके मरते बच्चे ,

रास रंग के इनके किस्से

गली गली में फैले हैं ,

कोई बाबा निर्मल नहीं

सब मन के बड़े मैले हैं ||


नेता अफसर चरण छूते ,

शासन इनका दास है ,

चोर उचक्के इनके चाकर ,

डाकू हत्यारे खास हैं ,

सब ओर फ़ैली बदहाली , तंगी ,

इन चोरों की ही है गिरोहबंदी ,

फंस जाते इनकी साजिश में

मेरे देश के लोग कितने भोले हैं ,

कोई बाबा निर्मल नहीं

सब मन के बड़े मैले हैं ||


एक ने सिखा सिखा कर योगा

धन अथाह है जोड़ा ,

विदेशी स्त्रियों के साथ नाच नाच कर

दूसरा सिखाये , ऐसे प्रेम कर ,

एक सुलझाए झगड़े अम्बानी के

तो , दूसरे के देखो पाठ ,

भूखों के देश में सिखाता है

जीने का आर्ट ,

सूची इनकी लंबी है ,

जगह की थोड़ी तंगी है ,

हम नहीं दे रहे किसी को ज्ञान ,

खोलो आँखें , दो थोड़ा ध्यान ,

इन बाबाओं के कारनामे बड़े काले हैं ,

दौलत के ढेर पर बैठे ,

ये ठग बड़े लुटेरे हैं ,

कोई बाबा निर्मल नहीं ,

सब मन के बड़े मैले हैं ||

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2012 at 8:21am

बाबाओं ने भावनाओं के साथ खेलने का दूकान खोल लिया है, और सहयोग करते है अंधभक्त, मिडिया, नेता आदि , अच्छी रचना हेतु बधाई स्वीकार करें |

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