For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दास्तान शर्मा परिवार की!

शर्मा जी, आजकल बड़े उद्विग्न से दिखने लगे हैं! ....वैसे वे हमेशा शांतचित्त रहते, किसी से भी मुस्कुराकर मिलते और जो भी उनके पास आता, उनसे जो मदद हो सकता था, अवश्य करते.
पर, आज कल दफ्तर में काम का अत्यधिक बोझ, बॉस का दबाव और बीच बीच में झिड़की, सहकर्मी की ब्यंग्यबान, बाजार की महंगाई, सीमित वेतन में बच्चों की पढ़ाई लिखाई, उनकी आकाँक्षाओं की पूर्ति, पत्नी के अरमान.... सबकुछ सीमित वेतन में कैसे पूरा करें....... वेतन समझौता भी एक साल से बकाया है. अभी तक कोई सुगबुगाहट नहीं सुनाई पड़ रही है. हर प्रकार का ऋण वे ले चुके है. उनकी किश्त में ही तो आधा वेतन निकल जाता है. इन्ही सब कारणों से थोडा परेशान और चिडचिड़े हो गए हैं... पहले दोस्तों के साथ क्रिकेट या राजनीति की चर्चा में घंटों समय पार कर देते थे पर आजकल किसी से मिलना जुलना भी कम कर दिए हैं ... आखिर इन शिष्टाचारों में भी तो रुपये लगते है. घर आए मेहमान का स्वागत तो मुस्कुराकर करते हैं और उपरी मन से ही सही, खूब आव भगत करते हैं पर उनके जाने के बाद ... 'गरीबी में आंटा गीला' कहने से नहीं चूकते!
मन का भड़ास किस पर निकालते - पत्नी बेचारी तो सहधर्मिणी होती है! .... दफ्तर से आने के बाद एक गिलास पानी और चाय बिस्कुट से स्वागत करती है. यह प्रतिदिन का नियम है .. पर उस दिन न जाने क्या हुआ -- कहने लगे चाय में इतनी चीनी मत डाला करो, अब हम लोगों का उम्र भी ज्यादा चीनी खाने का नहीं रह गया है.. मिसेज शर्मा चौंक गयी .. चीनी अलग से डालकर चाय सुडकने वाले शर्मा जी को आज चीनी कड़वी लगने लगी!  बोली - "चीनी ज्यादा कहाँ है उतनी ही तो डाली हूँ, जितनी हमेशा डालती हूँ". ..  "तुम्हे पता नहीं है न, चीनी क्या रेट में मिल रहा है? और कल से बिस्कुट की जगह भुना हुआ चना देना. उससे सेहत भी ठीक रहती है." शर्मा जी समझाते हुए बोले. शर्माइन शर्मा जी के बात को भांप गयी, बिस्कुट उठाकर ले गयी और अन्दर से भूना हुआ चना ले आयी. अब शर्मा जी के चेहरे पर मुस्कराहट थी -" देशी चीज की बात ही कुछ और है ये अंग्रेज लोग हम लोगों को चाय बिस्कुट का आदत लगाकर चले गए!"
खाना खाने बैठे तो पता नहीं किस चीज में उन्हें नमक थोड़ा ज्यादा लगा -- "कहने लगे नमक अब और घर में बचा है या नहीं?" शर्माइन  बेचारी घबरा गयी तुरंत दही ले आयी और बोली जिसमे नमक ज्यादा है, दही डाल कर खा लीजिये ज्यादा नहीं लगेगा!"  ... शर्माजी भुनभुनाते हुए किसी तरह खाना खा लिए!
बातें एक दिन की हो तो ठीक है, पर यह सिलसिला चलने लगा. उन्हें हर चीज में फिजूलखर्ची दिखने लगी बच्चे मोबाइल पर ज्यादा देर बात करते हैं, तुम पर ही गए हैं! तुम भी तो माँ या बहन से बतियाने लगती हो तो आधा घंटा में भी बात पूरी नहीं होती. अब्जी आंटे से लेकर अड़ोस पड़ोस का भी हाल चाल पूछ लोगी.
पत्नियाँ तो प्रेमचंद के उपन्यास से ही निकल कर आती हैं भला मायके की शिकायत कैसे बर्दास्त कर लेंगी? उन्हें जो कहना है कह लीजिये. उसकी माँ या मैके तक मत जाइये. इन्ही सब छोटी-छोटी बातों पर कभी-कभी बात बढ़ जाती और तू-तू, मैं-मैं हो जाती .. बच्चे बड़े हो रहे हैं...... वे भी सब समझने लगे हैं!
एक दिन शर्मा जी का लड़का पप्पू पापा से बोला - "पापा अपना मोबाइल दीजिये तो!"  शर्मा जी- "क्यों तुम्हारा बैलेंस ख़तम हो गया!"  पप्पू - "नही पापा आप दीजिये तो सही. ...खैर शर्मा जी बच्चे पर अपना गुस्सा कम ही निकालते थे.  पॉकेट से मोबाइल निकालकर दे दिया. थोड़ी देर बाद पप्पू आया और earphone  का प्लग शर्माजी के कान में लगा दिया - शर्मा जी सुनने लगे - "श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधार. बरनऊ रघुबर बिमल जस जो दायक फल चार"....... इस हनुमान चालीसा से लेकर और भी अच्छे भजन और पुराने मधुर फ़िल्मी गीत जो शर्मा जी को पसंद थे, सब उनके कानों के रास्ते उनके मनोमस्तिष्क को गुदगुदाने लगे. अब तो शर्मा जी टी वी को बंदकर अपने मोबाइल फोन में ही गाना और भजन सुनने लगे और थोड़ा शांत से दिखने लगे! टी वी भी तो दिनभर ऊटपटांग ख़बरें चलाता रहता है......
अब आगे का हाल सुनिए ...
शर्मा जी का चिरचिरापन अब कम हो चला था, पर उधर शर्माइन इस परिवर्तन से खुश नहीं थी. अगर वह शर्मा जी को कुछ कहना चाहती तो शर्मा जी एक दो बार में तो सुनते ही नहीं फिर कान से प्लग निकाल कर कहते हाँ बताओ तो क्या कह रही थी... "सब्जी घर में नहीं है, आटा भी आज भर का ही है. बाजार नहीं जायेंगे क्या?" .... शर्मा जी आज्ञाकारी पति की भांति थैला उठाये बाजार चल देते और आवश्यकतानुसार सामग्री लाकर हर चीज का दाम भी बता देते, जिसका अभिप्राय यही होता था कि दाम बढ़ रहे हैं, हिशाब से इस्तेमाल करो.......
एक दिन सन्डे को शर्माइन जी तैयार हुई बाजार जाने को. कुछ कपड़े एवं अन्य आवश्यक सामान लेना था. शर्मा जी जल्दी तैयार होकर बैठकर गाना सुनने लगे और उधर शर्माइन अपनी जूड़ा और साड़ी ठीक करने में लगी हुई थी. खैर दोनों घर से बाहर निकले और स्कूटर को बाहर निकाला, जो एक सप्ताह से इन्तजार कर रहा था कि उसे कोई चलाये तो सही. शर्मा जी ने एक 'किक' दो 'किक' और फिर कई 'किक' मारे, थोड़ा झुकाया भी और बजरंगबली का नाम लेकर पुन: 'किक' मारा, पर स्कूटर को नहीं स्टार्ट होना था, सो नहीं हुआ. शर्मा जी बोले- "चलो ऑटो से चलते हैं" ....पर शर्माइन जी को गुस्सा आ गया - "कब से कह रहे हैं, इस पुराने स्कूटर को बेचकर नया बाइक ले लो, पर आपको तो पुरानी चीज ही पसंद है..... अब हम कही नहीं जायेंगे.
गुस्से में आकर घर में बैठ गयी. अपने विभिन्न पड़ोसियों का गुणगान करती हुई शर्मा जी को कोसने लगी. शर्मा जी को दुबारा हिम्मत न हुई उसे मनाने की. शर्मा जी की बेटी पिंकी सारी बातों को देख सुन रही थी..... मम्मी को अपने पास ले गयी - "मम्मी अपना मोबाइल देना तो!" .. उसने भी वही किया जो पप्पू ने किया था. पिंकी भी मम्मी का पसंद जानती थी. उसने संतोषी माता की आरती से लेकर, हवा में उड़ता जाय, मोरा लाल दुपट्टा ..  मोरा पिया गए रंगून .. आदि गाने मम्मी के मोबाइल में डाऊनलोड कर दिए और मम्मी को सुनाने लगी. अब मम्मी के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी थी!
अब तो शर्माइन जी रोटी बनाते बनाते भी सुनती और साथ में गाती - मैं तो आरती उतारूं रे संतोषी माता की ... या मोरे पिया गए रंगून वहां से किया है टेलीफून......
ठीक ही तो कहा है - 
In sweet music is such art,
Killing care and grief of heart
Fall asleep, or hearing, die.

- William Shakespeare: Henry VIII, Act III —

Music is known to relax and to help in stress relief. In the right manner, music can bring lightness into a serious situation.

अर्थात मधुर संगीत हमारे मानसिक तनाव को दूर करने का सबसे उपयुक्त और आसान उपाय है.

मधुर संगीत, ईश्वर का ध्यान, भजन का गान, हंसी-ठिठोली, आदि हमारे प्रतिदिन के तनाव को दूर करने में बहुत ही कारगर है. इसे अपनाकर देखें!

Views: 1020

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 3, 2012 at 1:26pm

aadarniya singh sahab ji, pahle sadar pranam liya jaye. lagta hai ab mujhe bhi dhandha badalna padega. aap dusre hain dhandha badlne main. pr ek baat bhai ji gadbad hai ki jo dhandha koi shru karta hai aap hathiya lete hain, sare lage lagaye custmor le jate hai. ye meri ish putri ka dhandha hai. 

vastav main sangit se maine rogon ko thik karte dekha hai. kai log cd bhi bech rahe hain. janvar doodh jyada dete hain. baki raj ki baat nahi bataunga, khana band ho jayega, kahavat hai ki bhains ke aage bin bajao bhains khadi pagurai. ab aap ye na kahiyega bihar main jabse chara sukh gaya bhainson ne pagurana band kar diya. achhe lekh hetu badhai. 

Comment by minu jha on April 3, 2012 at 11:47am

सच कहा आपने जवाहर जी,संगीत तनाव दूर

करने का सबसे कारगर उपाय है,अनुभवों के आधार

पर कह रही हुं,अच्छा आलेख


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2012 at 8:11am

Jawahal lal ji aapki baat to sahi hai achcha musis/sangeet man ko tarotaja kar deta hai ....kintu gareebi me pet nahi bhar sakta.pet ke liye to khana hi chahiye hota hai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
14 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service