For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यंग्य - अब लगा भी दो शतक

हमारा देश अनंत विविधताओं से ओत-प्रोत है। 33 करोड़ देवी-देवताओं से हममें से हर कोई कुछ न कुछ मांगते रहता है। भगवान भी देर से ही सही, अपनी आराधना करने वालों की सुध लेते ही हैं। तभी तो मंदिरोें में मत्था टेकने वालों में भगदड़ मचती रहती है। भगवान हममें से कइयों को छप्पर फाड़कर देता है, ये अलग बात है कि कुछ को छप्पर भी नसीब नहीं होता। कोई दो वक्त की रोटी को ईश्वर की असीम देन कहता है तो एक दूसरा, उसकी अहमियत को नहीं समझता, फिर भी भगवान उस पर मेहरबान हुए रहते हैं।
हम भगवान से मांगते रहते हैं, वैसे ही क्रिकेट के भगवान से भी हम जैसे अनगिनत रहनुमाई एक ‘शतक’ बीते कुछ महीनों से मांग रहे हैं, मगर उनका बल्ला ‘शतक का आशीर्वाद’ नहीं दे रहा है। हमें बेसब्री से इंतजार है कि क्रिकेट के भगवान ‘शतकों का शहंशाह’ बनें और शतकों का शतक लगाए। न जाने कब से अंखियां बिछाए बैठे हैं कि वे कीर्तिमान बनाकर हम जैसों को धन्य करें। क्रिकेट की खुमारी न जाने कहां-कहां छाई है, इसीलिए खाने-पीने की फुर्सत भी नहीं रहती। क्रिकेट को जिंदगी समझने वालों के दिमाग में भी उछल-कूद मची है, फिर भी क्रिकेट के भगवान अपने में ही मग्न हैं। करोड़ों क्रिकेटप्रेमी अपने मसीहा से मांग-मांग कर थक जा रहे हैं, हे क्रिकेट के देवता एक शतक तो लगा दो। आपने हमारी कई मुरादें पूरी की हैं, इस सीढ़ी को चढ़ने में आप देरी क्यों कर रहे हैं ?
हर समय टीवी से चिपके रहते हैं, मन में केवल एक ही बात रहती है कि क्रिकेट के भगवान, कहां, किस समय, किस गेंद पर अपन शतक लगा दें। कहीं उस पल को देखने हम चूक न जाएं, यही कारण है कि एक मैच देखने में हाथ से जाने देना नहीं चाहते, भले ही हमारे खिलाड़ी कागजी शेर निकल जाए। हम पूरी सीरीज गंवा दें, बस मन में एक ही बात समाई बैठी है कि क्रिकेट के भगवान ने हमें इतने शतक दिए हैं, अब और एक शतक दे दें। इससे हमारी सबसे बड़ी मुराद पूरी हो जाएगी।
क्रिकेट के भगवान पर वैसे ही हर किसी की निगाह टिकी है, कोई उन्हें ‘भारत रत्न’ देने का हिमायती बन बैठा है तो किसी को उनके एक ‘ अनमोल शतक’ का इंतजार है। कइयों को लग रहा है कि इसके बाद उनका ‘भारत रत्न’ बनने का रास्ता साफ हो जाएगा। यह स्वाभाविक भी है, देश को गौरव के सोपान में सातवें आसमान पर पहुंचाने वही एक ही तो हैं, बाकी तो बस ऐसे ही हैं। हॉकी हमारा राष्ट्रीय खेल है, इस लिहाज से मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की गुजारिश भी की जा रही है। देशी की बात हम करते हैं, किन्तु हर कहीं हममें पाश्चात्य हावी है। क्रिकेट में जब ऐसा हो रहा है तो हमें मुंह नहीं खोलना चाहिए। जैसे हमने पहले भी अपनी जुबान बंद कर रखी है, वैसे ही आगे भी बने रहना चाहिए। इसके एवज में हमें कुछ बलिदान करना पड़े, यह कोई मायने नहीं रखता। बस, मायने एक ही है, क्रिकेट के भगवान को ‘भारत रत्न’ मिले।
कई कहते हैं कि सचिन देश के लिए नहीं खेलते, पैसे के लिए खेलते हैं, मगर मैं नहीं मानता, क्योंकि अपने लिए नहीं खेलते तो क्या इतने रिकार्ड बना पाते और हमारे कलयुगी भगवान बन पाते। देखिए, पद तथा पैसा का चोली-दामन का साथ रहता है, इसमें हमें एतराज नहीं करना चाहिए। एक तो हम उनसे पिछले बीस बरसों से मांगते चले आ रहे हैं और वे दोनों हाथों से बल्ला थामे लुटाए जा रहे हैं, शतकों पर शतक। फिर भी हमारी भूख खत्म ही नहीं हो रही है। यह निश्चित ही गलत बात है, जब हमें कोई देने पर आ जाए तो उसके बाद उनसे इतनी अधिक अपेक्षा पाल के नहीं रखनी चाहिए। अब देखिए न, अपेक्षा रखते-रखते शतक का पंथ निहार रहे हैं, किन्तु वे हैं कि शतक का रास्ता तैयार कर ही नहीं रहे हैं। ऐसा ही रहा तो किसी दिन आंखें ही न पथरा जाए।
काफी अरसे से मन कचोट रहा है कि हम भगवान से मांगते हैं, उसकी पूरी होने की उम्मीद रखते हैं और वह समय आने पर पूरी भी होती है। ऐसे में हमें मन को मारना नहीं चाहिए, आज नहीं तो कल, क्रिकेट के भगवान हमें ‘शतकों का प्रसाद’ जरूर देंगे। कहा भी गया है कि इंतजार का फल मीठा होता है। अब देखते हैं, हमारे ये भगवान हमारी सुनते हैं कि नहीं। काफी दिनों से बस निराश ही कर रहे हैं। सुन भी लो, क्रिकेट के भगवान और अब लगा भी दो, शतकों का शतक।


राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं।

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 074897-57134, 098934-94714, 099079-87088
        

Views: 261

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service