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अन्ना - अराजकता या संशोधन

मैं कई लोगों के मुंह से सुन चुका हूँ के अन्ना हजारे के आंदोलन से अराजकता की स्तिथि पैदा हो रही है या हो सकती है

 

तो में उन लोगों से पूछना चाहता हूँ के अराजकता का मतलब क्या है

ये जो ६५ साल से भारत की ज्यादातर जनता को भ्रष्टाचार के कारण संघर्षपूर्ण जीवन जीना पड़ता है, क्या ये अराजकता नहीं है

क्या ये जो कमजोर कानूनों का ढाल बनाकर भ्रष्ट लोग कानून की ही धच्चियाँ उड़ाते हैं, क्या ये अराजकता नहीं है

इन जैसे लोगों ने किताबी जानकारी तो काफी ले ली हैं पर इनको लोकतन्त व्यवस्था का कोई भी व्यावहारिक ज्ञान नहीं ऐसा मेरा मत है

 

कई लोग ये कहते हैं के अन्ना हजारे को अनशन करने की जगह लोगों को जागरूक करना चाहिए के वो भ्रष्टाचार ना करें

इसका मतलब है के अन्ना हजारे को वो करना चाहिए जो हमारी ये व्यवस्था ६४ साल में नहीं कर पाई है

इस हिसाब से तो अभी १०० - २०० साल और लग जायेंगे भ्रष्टाचार मिटने के लिए

 

एक और बात

अगर लोगों को व्यवस्था की समझ नहीं है तो क्यों लोगों के मतों के आधार पे सांसद खुद को को निर्णय लेने वाला घोषित करते हैं

और अगर लोगों का मत ही लोकतन्त में निर्णय लेने का मुख्य आधार है लो क्यों नहीं सरकार तुरंत जन लोकपाल लाने का निर्णय लेती ये जानते हुए भी के आज बहुसंख्य जनता का मत इसके पक्ष में है

 

जनता का सरकार को चुनोती देने की जरूरत यों आन पड़ी है के जो आज संसद में बैठे हैं वो हमारे ही प्रतिनिधि हैं

मुद्दा ये है के हमारे ही प्रतिनिधि हमारी बात नहीं सुन रहे

तो हम क्या करें ?

क्या उन्हें कुछ साल और देश को लूटने दें या अपनी ताकत दिखाकर अभी सही फेसला लेने को बाधित करें ?

 

लोकतंत्र का अर्थ जनता के द्वारा सिर्फ प्रतिनिदी चुनना नहीं होता

लोकतंत्र का अर्थ है जनता का शासन

जिसके लिए लिए कई प्रणालियाँ जनता के द्वारा ही बनायीं जाती हैं

और जनता को पूर्ण अधिकार है के वो जरूरत पड़ने पर इस प्रणालियों में संशोधन करे

 

संविधान कोई आसमान से उतर के नहीं आया और ना ही ये कानून व्यवस्था आसमान से उतर के आई है

ये हमरे द्वारा ही बनायीं गयी है और इनके बनाने के पीछे कई आंदोलन और विरोध आधार रहे हैं

और जब आज इनमें संशोधन की जरूरत आन पड़ी है तो तो कुछ लोग इन्ही का हवाला देकर इन्ही को संशोदित करने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं

 

आदमी एक कुत्ता पालता है

और वो ही कुत्ता अगर पागल होकर उसी को काटने लगे तो क्या तुम ये कहोगे के तुम इसका इलाज मत कराओ क्योंकि ये वही कुत्ता है जिसे तुमने पाला था

और कुत्तों की तो आदत ही होती है काटना

इसको इसी रूप में रहने दो

या सब लोगों को समझाओ के इसके काटने से कैसे बचें

और ये तुम्हें काटे तो तुम भी इसे काटो क्योंकि काटने वाला कुत्ता काटने से ही सुधरेगा !!

 

गलत व्यवस्था को उसी गलत व्यवस्था से सुधारने की बात कुत्ते को काटने जैसे प्रतीत होती है

 

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