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नज़र को धोखा बार- बार यही होता है.
यूँ तो कुछ भी क्षितिज के पार नहीं होता है .
खुदा बनाता है क्यों उनको हसीं.
जिनके दिल में तमिज़े प्यार नहीं होता है .
दिल भले साज़ है पर सबसे जुदा.
ये वो सितार जिसमे तार नहीं होता है.
उनकी मासूमियत पे हैरां हूँ.
ये भी नहीं कहते ऐतबार नहीं होता है .
रेत में गुल खिला रहे हो पुरी.
दिलजलों के लिए बहार नहीं होता है.
गीतकार- सतीश मापतपुरी
मोबाइल - 9334414611

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 3, 2010 at 11:59am
खुदा बनाता है क्यों उनको हसीं.
जिनके दिल में तमिज़े प्यार नहीं होता है .

वाह सतीश भईया वाह क्या उम्दा ख्यालात है पूरी रचना का निचोड़ आप ने उक्त दो लाइनों मे रख दिया है , बधाई हो इस शानदार प्रस्तुति पर,

कृपया ध्यान दे...

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