For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम वीरांगना हो जीवन की

तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो
चाहे उलाहना पाओ जितनी, तुम अपने जिद पर अड़ी रहो


गर्भ में ही मारेंगे तुमको, वो सांस नहीं लेने देंगे 
कली मसल कर रख देंगे वो फूल नही बनने देंगे 
तुम मगर गर्भ से निकल कर अपनी खुशबू बिखरा दो 
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


चाहे पथ पर पत्थर फेंके, शिक्षा से रोके तुमको 
कुछ पुराने मनोवृत्ति वाले चूल्हे में झोंके तुमको 
तुम ना डिगना अपने प्रण से, एकाग्रचित्त हो जमी रहो 
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


चाहे तेरे पहनावे पर कोई कितने तंज़ कसे 
या फिर तेरे रहन सहन पर छोटी सोच के लोग हँसे 
उन सबको तुम चुनौती मानो, बस अपनी धून में रमी रहो 
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


 बातें होंगी ना जाने कितनी, जब तुम घर से निकलोगी
 अंगारे हीं होंगे पथ पर, फिर भी तुम ना पिघलोगी 
 अपने श्रम के गंगा जल से, उन चिंगारी को नम करो 
 तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


बात-बात पर जगह जगह पर, आँखें तुमको तरेरेंगी,
कुछ लालची काली छाया हर ओर से तुमको घेरेंगी 
लेकिन तुम ना डरना उनसे, आँख दिखाकर वार करो 
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


क्यों भला अपमान सहो तुम, क्यूँ ना पुरजोर विरोध करो 
अपनी आन बचाने का अब हक़ है तुमको विद्रोह करो 
अब अपने स्वाभिमान के आगे तुम ना कोई फरमान सुनो 
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


आज तुम्हें जो ताने देते कल वो हीं पछताएंगे 
देखकर तेरा विजय पताका तुम्हें दौड़कर गले लगाएंगे 
पर तुम उनका अपमान न करना, ना अभिमान को हावी होंने दो 
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो


चाहे उलाहना पाओ जितनी, तुम अपने जिद पर अड़ी रहो    
तुम वीरांगना हो जीवन की, तुम अपने पथ पर डटी रहो

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

Views: 188

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
17 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
17 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
17 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
10 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service