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तोटकाष्टकम् - दुर्मिल वृत छंद का समूह-गायन

सुधीजनो, 

तोटकाचार्य आदिशंकर के प्रथम चार शिष्यों में से थे.  ’आचार्यदेवोभव’ सूत्र के प्रति अगाध भक्ति के माध्यम से समस्त ज्ञान प्राप्त कर आप आदिशंकर के अत्यंत प्रिय हो गये. आगे, आदिशंकर ने बद्रीनाथधाम की स्थापना कर आपको वहीं नियुक्त किया था. 

तोटकाचार्य विरचित तोटकाष्टकम्   --इसे श्रीशंकरदेशिकाष्टकम् भी कहते हैं--   दुर्मिल वृत्त में है. 

तोटकाष्टकम् का आधुनिक वाद्यों के साथ समूह-गान प्रस्तुत है.

विश्वास है, छंद ज्ञान और सस्वर पाठ में सटीक उच्चारण को जानने के क्रम में यह प्रस्तुति रोचक प्रतीत होगी.

तोटकाष्टकं या श्रीशङ्करदेशिकाष्टकम्

विदिताखिल शास्त्रसुधाजलधे महितोपनिषत्कथितार्थनिधे ।
हृदये कलये विमलं चरणं भव शंकर देशिक मे शरणम्॥१॥

करुणावरुणालय पालय मां भवसागरदुःखविदूनहृदम् ।
रचयाखिलदर्शनतत्त्वविदं भव शंकर देशिक मे शरणम्॥२॥

भवता जनता सुहिता भविता निजबोधविचारण चारुमते ।
कलयेश्वरजीवविवेकविदं भव शंकर देशिक मे शरणम्॥३॥

भव एव भवानिति मे नितरां समजायत चेतसि कौतुकिता ।
मम वारय मोहमहाजलधिं भव शंकर देशिक मे शरणम्॥४॥

सुकृतेऽधिकृते बहुधा भवतो भविता समदर्शनलालसता ।
अतिदीनमिमं परिपालय मां भव शंकर देशिक मे शरणम्॥५॥

जगतीमवितुं कलिताकृतयो विचरन्ति महामहसश्छलतः ।
अहिमांशुरिवात्र विभासि गुरो भव शंकर देशिक मे शरणम्॥६॥

गुरुपुंगव पुंगवकेतन ते समतामयतां नहि को अपि सुधीः ।
शरणागतवत्सल तत्त्वनिधे भव शंकर देशिक मे शरणम्॥७॥

विदिता न मया विशदैककला न च किंचन काञ्चनमस्ति गुरो ।
द्रुतमेव विधेहि कृपां सहजां भव शंकर देशिक मे शरणम्॥८॥
 

**********************************

-सौरभ

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 9:34pm

बहुत-बहुत धन्यवाद, गणेश भाई.. .

ऑडियो फ़ाइल के साथ-साथ अष्टकम् को पढ़ने से उच्चारण में कसावट भी महसूस होगी. इसी कारण अष्टकम् को लिखित रूप में भी प्रस्तुत कर दिया हमने. वाद्य-यंत्रों का प्रभाव तो खैर है ही.. .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 16, 2013 at 9:21pm

इस पोस्ट हेतु साधुवाद, निश्चय ही छंद ज्ञान के क्रम में और सस्वर पाठ के उद्येश्य से यह प्रस्तुति रोचक और लाभकारी होगी ।

कृपया ध्यान दे...

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