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वफ़ा ढूंढते हो जफ़ा के नगर में यहाँ पर वफ़ा अब बची ही कहाँ है (४५ )

(१२२ १२२ १२२ १२२ १२२ १२२ १२२ १२२ )

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वफ़ा ढूंढते हो जफ़ा के नगर में यहाँ पर वफ़ा अब बची ही कहाँ है 
बुझी है वफ़ा की मशालें दिलों से वफ़ा का नहीं कोई नाम-ओ-निशाँ है 
**
यहाँ राज करते हवस के पुजारी किसी की नहीं है मुहब्बत से यारी 
इधर बेवफ़ाओं का लगता है मेला कोई बावफ़ा अब न मिलता यहाँ है 
**
इधर पैसा फेंको दिखेगा तमाशा अगर जेब ख़ाली मिलेगी हताशा 
इधर है न रिश्ता न कोई सगा है फ़क़त पैसा होता धरम और इमाँ है 
**
यहाँ नाम-लेवा वफ़ा का न कोई वफ़ा की यहाँ सबने उम्मीद खोई 
सजी है दुकानें यहाँ जिस्म की बस मुहब्बत की कोशिश हर इक रायगाँ है 
**
यहाँ महफ़िलों में गज़ब खीरगी है दिलों में समाई मगर तीरगी है 
यहाँ अश्क देखे कहाँ है किसी ने लबों पर हँसी और दिल में फुगाँ है 
**
यहाँ रास आती बदन की फ़रोशी मगर दर्द देती दिलों की ख़मोशी 
यहाँ दिन उदास और दिलकश है शामें यहाँ रात रोज़ाना होती जवाँ हैं 
**
अलग ये बसाई शरीफों ने दुनिया यहाँ लाई जाती किसी घर की मुनिया 
फँसा इस क़फ़स में अगर इक परिंदा यहीं उसका घर है यहीं कारवाँ है 
**
बने औरतों के लिए जो इदारे सभी कागजों में मुक़द्दर सँवारे 
मगर ये निज़ामत नहीं ग़ौर करती इसे फ़िक्र औरत की रहती कहाँ है 
**
खुले आम घूमें 'तुरंत' अब शिकारी कई बागबाँ बेचे कलियाँ कुँवारी 
वतन है हमारा अब आज़ाद लेकिन पुरानी रिवायत जहाँ की तहाँ है 
**
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी | 
३१/०५/२०१९

शब्दार्थ -रायगाँ =बेकार ,खीरगी=चकाचौंध ,तीरगी=अँधेरा 
फ़ुग़ाँ =आर्तनाद ,इदारे=विभाग /संस्थाएं ,निज़ामत=व्यवस्था ,रिवायत =प्रथा

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

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Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on June 1, 2019 at 6:15pm

 गिरिराज भंडारी जी आपकी हौसला आफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया | सादर नमन | तक़बूले रदीफ़ संज्ञान में तो था लेकिन शिल्प की दृष्टि से इस लम्बी बह्र में इग्नोर किया क्योंकि मुझे तीरगी को  खीरगी से मिलाना था | वैसे अहमद फ़राज़ जैसे शायर ये मानते हैं कि तक़बूले रदीफ़ के लिए स्वर को देखना चाहिए उस दृष्टि से तीरगी है और फुगाँ है में अलग स्वर है | लेकिन आपकी बात को नज़रअंदाज़ भी नहीं कर रहा हूँ | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 1, 2019 at 12:57pm

आदरणीय गिरधारी सिंह जी अच्छी ग़ज़ल कही है , दिली बधाईयाँ स्वीकार करें | पांचवे शेर में तकाबुले रदीफ  दोष आ गया है .. संभव  हो तो देख लीजिएगा |

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