For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपने गॉंव पर एक गीत लिखने का प्रयास

बहर 1222   1222    1222   1222 छूट नियमानुसार लेने का प्रयास

कहानी आज गहमर की सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी सभी को हम दिखाते है

बकस बाबा का है मंदिर, लिये बस नाम जो आता ।
न मरता साँप का काटा, खुशी मन से वो घर जाता।
बचाने में गौ माता को, गई थी जान ही जिसकी ।
न उस बरसाल को भूले, करें पूजा सभी उसकी ।।
हमारे गाँव में गंगा, लगे मेला यहाँ हरदम ।
बने हैं घाट सब पक्के, न शहरो से दिखे कुछ कम।।
निराली होती छटा छठ की, सभी दीपक जलाते है
कहानी आज गहमर की,सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है

बसा पन्‍द्रह सौ पैतिस में, जगह इक नाम था गहमर।
बसाया था इसे जिसने, हुए वो धाम देव अमर ।।
बना कर वो यहॉं मंदिर, बसाये मॉं कामाख्‍या को।
कहा होगा न दु:ख उसको, करे विश्‍वास माँ में जो।।
तभी से रोज पूजा हो, कभी खंडित न है होती। 
निराली मॉं की महिमा है, निराली उसकी है ज्‍योति।।
लगे नवरात में मेला, हजारो भक्‍त आते है
कहानी आज गहमर की, सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है



यहॉं अंग्रेज की कोठी, जिसे मैगर जलाये थे।
नदी में जान अपनी कूद,तब गोरे बचाये थे।।
बयालिस में लिया लोहा, यहाँ के वीर गोरो से ।
किये थे तीस दिन शासन, बने वो अपने नियमो पे।।
बचाने मान भारत की,लुटा ने जान सरदह पे।
खडे़ है आज सीमा पे,हजारो वीर गहमर के।।
हिफाजत हम करे कैसे,वतन की वो सिखाते है
कहानी आज गहमर की, सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है

जनक जिसको कहा जाता है, जासूसी किताबो का ।
वही गोपाल गहमर के, न जग में दूजा है उन सा।।
बता कर हाल सूखे का, रुलाये जो जवाहर को।
जरा उनका बता दो नाम, गहमर गाव के थे वो।।
न भोजपुरी लिखे केवल, लिखे हिन्‍दी बड़ी न्‍यारी।
हजारो गीत भोला के जो, कानो को लगे प्‍यारी।।
मुझे मालूम है जितना सभी तुम को बताते है
कहानी आज गहमर की सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी सभी को हम दिखाते है


न देखे पाँच मुॅख वाले कही, हनुमान जी को तुम ।
विराजे वो यहाँ लेकिन, हुआ मंदिर नदी में गुम ।।
कुटी इक सिद्व बाबा की, यहा गंगा किनारे है।
यही से आगे बढ़ कर, ताड़का को राम मारे है।।
कलम के साथ तलवारे , चलाने की कला जाने
नगर है मंदिरो का ये, सभी देवो को हम माने
अतिथि को देवता कह, प्‍यार से उनको बुलाते है
कहानी आज गहमर की, सुनो सबको सुनाते है
बना तस्‍वीर इक प्‍यारी, सभी को हम दिखाते है

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

अपने गॉंव पर गीत लिखने का एक प्रयास





 

 

Views: 552

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shree suneel on August 30, 2015 at 10:07am
आदरणीय अखंड गहमरी जी , बधाई आपको इस रचना के लिए जिसमें गहमर के इतिहास, वर्तमान और विशेषताओं को सुन्दर ढंग से आपने व्यक्त किया है. गहमर को मैं जानता था लेकिन उसे विशेषताओं के साथ जानने का अवसर इस रचना ने दिया. धन्यवाद इसके लिए. पुनः बधाई आदरणीय.
Comment by Akhand Gahmari on August 26, 2015 at 3:28pm

आपको हार्दिक नमन आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 26, 2015 at 12:43pm

आदरणीय अखंड जी, आपकी रचनाओं में सदैव गाँव की माटी की सोंधी सोंधी खुशबू होती है. आपने तो इस गीत में गहमर के दर्शन ही करा दिए. इस प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो  कर  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई , ग़ज़ल पर उपस्थिति  और  सराहना के लिए  आपका आभार  ये समंदर ठीक है,…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"शुक्रिया आ. रवि सर "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी. //हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"वाह वाह आदरणीय नीलेश जी पहली ही गेंद सीमारेखा के पार करने पर बल्लेबाज को शाबाशी मिलती है मतले से…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई ग़ज़ल की उम्दा पेशकश के लिये आपको मुबारक बाद  पेश करता हूँ । ग़ज़ल पर आाई…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय अमीरूद्दीन जी उम्दा ग़ज़ल आपने पेश की है शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करे । हालांकि आस्तीन…"
3 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय बृजेश जी ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिये बधाई स्वीकार करें ! मुझे रदीफ का रब्त इस ग़ज़ल मे…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह वाह आदरणीय  नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा…"
4 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय  गिरिराज भाई जी आपकी ग़ज़ल का ये शेर मुझे खास पसंद आया बधाई  तुम रहे कुछ ठीक, कुछ…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. गिरिराज जी मैं आपकी ग़ज़ल के कई शेर समझ नहीं पा रहा हूँ.. ये समंदर ठीक है, खारा सही ताल नदिया…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अजय जी "
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service