For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप.

सागर , सरिता ,

निर्झर , मरू

कलरव करते विहग

सुन्दर फूल , गिरि , तरु

अरुणाई उषा की

रजनी से मिलन  शशि का

जल,  वर्षा , इन्द्रधनुष

कोटि जीव , वीर पुरुष 

सब कितना मंजुल  जग में

प्रकृति का रूप अनूप

लेकिन

नारी, तुम हो जगत में

प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप.

......मौलिक एवं अप्रकाशित ....

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 8:23pm

चेतावनी ? अरे नहीं जी !

यह मेरे लिए भी जानकारी है. तथ्य को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.

शुभ-शुभ

Comment by Neeraj Neer on October 3, 2013 at 7:38pm

आदरणीय सौरभ जी आपकी शुभकामना के लिए सादर आभार :)  लेकिन क्या आपको ऐसा नहीं लगता .. 

नारी, तुम हो जगत में

प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप........  :D ,  जीवन के सफ़र में आपकी वरिष्ठता इस शुभकामना को चेतावनी में परिवर्तित कर रही है ... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 3, 2013 at 1:56pm

ऐसा ?

शुभकामनाएँ, भाईजी.. .

Comment by Neeraj Neer on October 2, 2013 at 4:00pm

आदरणीय जीतेंद्र गीत जी हार्दिक आभार ..

Comment by Neeraj Neer on October 2, 2013 at 4:00pm

आदरणीय अरुण भाई हार्दिक आभार 

Comment by Neeraj Neer on October 2, 2013 at 3:59pm

आदरणीय माथुर जी हार्दिक आभार आपका 

Comment by Neeraj Neer on October 2, 2013 at 3:59pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आभार आपका .

Comment by Neeraj Neer on October 2, 2013 at 3:58pm

बहुत आभार आदरणीय रविकर जी , संदीप जी , विजय मिश्र जी एवं राम शिरोमणि पाठक जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 1, 2013 at 10:35pm

बेहद सुंदर रचना, बधाई आदरणीय नीरज जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 9:26pm

आदरणीय नीरज भाई कितनी सुन्दर बात कही है आपने दिल खुश कर दिया इस एक पंक्ति ने...

नारी, तुम हो जगत में

प्रकृति का सबसे सुन्दर रूप.... वाह भाई वाह आपके इस विचार और सोच पर आपको दिल से बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service