For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


ज़िन्दगी... ... ...
देती रही तमन्नायें...
उन्हें सहेजती रही मैं...
खुद में... ... ...
इस उम्मीद से...
कि कभी... किसी रोज़...
कहीं ना कहीं...
इन्हें भी दूँगी पूर्णता...
और करूँगी...
खुद को भी पूर्ण...
जिऊँगी तृप्त हो...
इस दुनिया से...
बेखबर... ... ...

पर... ... ...
नहीं जानती थी मैं...
कि तमन्नायें होतीं हैं...
सिर्फ सहेजने के लिये...
इन समंदर का...
नहीं कोई साहिल...
इस कश्ती का...
नहीं कोई माझी...
ये तो डोलती रहतीं हैं...
अकेली... ... ...
बीच मझधार...
और खो जाती है...
इक दिन किसी...
भंवर में... ... ...
हमेशा के लिये... ... ...!!

::::जूली मुलानी::::
::::Julie Mulani::::

Views: 372

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on October 3, 2010 at 12:58am
विनीत जी आपने भी दुरुस्त फ़रमाया... शुक्रिया आपकी शुभकामनाओं का...!! :-)
Comment by Julie on October 3, 2010 at 12:57am
नविन भाई जरुर... आपकी ईमानदार टिप्पड़ी के लिए तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ... अगली बार और मेहनत करुँगी... जिससे भाई का पेट भर जाए...!! :-)
Comment by vineet agarwal on October 2, 2010 at 11:12pm
sach hai aur sateek bhi

tamnnaon ke behlaave mein aksar aa hi jate hain
kabhi hum chot khate hain ..kabhi hum muskuraate hain

shubhkanayen
Comment by Julie on October 2, 2010 at 3:18pm
गणेश जी इस हौंसला अफजाई के लिए बहुत बहुत शुक्रगुजार हूँ आपकी...!! :-)

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2010 at 2:32pm
जुली जी, एक चित्र और उसकी व्याख्या करती एक खुबसूरत कविता, क्या कहा जाय, अद्भुत संगम है, अद्भुत है आपकी सोच और अद्भुत है आपकी अभिव्यक्ति,
इन समंदर का...
नहीं कोई साहिल...
इस कश्ती का...
नहीं कोई माझी...
ये तो डोलती रहतीं हैं...
अकेली... ... ...
बीच मझधार...
और खो जाती है...
इक दिन किसी...
भंवर में... ... ...
हमेशा के लिये... ...
दिल मे गहराई तक उतर जाने वाले यह शब्द समूह, एक बारगी तो मन मस्तिष्क को झंकृत कर देते है, बधाई इस शानदार उदगार पर, जय हो !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
22 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
23 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service