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Anita Bhatnagar's Blog (6)

हाइकु - मोर /मयूर

देख मयूर
अनुपम सौंदर्य
मन बावरा।

विश्व सौंदर्य
प्रकृति हो रमणी
नाचे मयूर।

सुंदर पंख
नागराज भी डरे
निराला मोर।

मन हर्षाता
पंख फैलाए मोर
जो इठलाता।

काला बादल
नर्तकप्रिय मोर
मन को भाता।

अनिता भटनागर 

मौलिक और अप्रकाशित 

Added by Anita Bhatnagar on July 1, 2023 at 1:00pm — No Comments

नकाबपोश रिश्ते

पैसों के तराजू में अब तुल रहे हैं रिश्ते,

छल कपट के नकाब में पल रहे हैं रिश्ते,

छीन लेते हैं अपने ही हमारी मुस्कान,

दिल के बंद पन्ने अब खोल रहे हैं रिश्ते।



चेहरों पे अब नकाब लगाने का चलन है,

नाप तौल से रिश्ते निभाने का चलन है,

चार दिन की जिंदगी भूल गए हैं सब,

गले लगा कर गला काटने का चलन है।



दिलजलों की महफिल में एहतराम कैसा,

गुम हो रहे रिश्ते, है ये फरमान कैसा,

चांद की चांदनी से चमकते रिश्ते,

स्वार्थ के अंधकार में फिर छिपना…

Continue

Added by Anita Bhatnagar on June 30, 2023 at 7:00pm — No Comments

छंदमुक्त - अनुशासन

अनुशासन के दायरे

कर्म पथ पर दृढ़ता से

बढ़ना सिखलाते,

अनुशासन की महिमा से

जन्म सफल हो जाते

मन के वशीकरण का,

अनुशासन सुंदर मंत्र

ज्यों अपनी ही धूरी पर,

चलता जीवन तंत्र।

अनुशासन को ध्येय बना लो,

लक्ष्य भेद है निश्चित

और सफलता है निमित्त,

अनुशासन लाता है,

जीवन में उजियार,

सफल बनो संसार में,

खुशहाली हो अपार

अनुशासन ही है ,

विद्या का श्रृंगार

तत्परता से दूर हो ,

मूढ़ मन के विकार।



अनिता… Continue

Added by Anita Bhatnagar on June 22, 2023 at 12:43pm — 2 Comments

ग़ज़ल

 

ग़ज़ल - मुहब्बत क्यूँ नहीं करते 

1222 1222

मुहब्बत क्यूँ नहीं करते,

शरारत क्यूँ नहीं करते |

बड़े ही बे - मुरव्वत हो,

अदावत क्यूँ नहीं करते ||

अलग अंदाज है उनका,

बगावत यूँ नहीं करते |

बिखर जाए अगर लाली,

वो हसरत भी नहीं करते ||

बड़े अरमान हैं मेरे,

हिफाज़त भी नहीं करते |

शिकायत लाख है उनको,

मुखालिफ वो नहीं करते ||

भरोसा तोड़ देते हैं,

इबादत…

Continue

Added by Anita Bhatnagar on January 25, 2023 at 9:30pm — 1 Comment

ग़ज़ल

भाव शून्य हो अंतरपट जब,

पराधीन मन बोल रहा है |

मूक शब्द हैं शुष्क नयन पर,

द्रवित हृदय भी डोल रहा है ||

अस्त व्यस्त हैं कर्म हमारे,

बिगड़े हैं संजोग यहाँ पर |

दो दिन की है बची जिंदगी,

समय पहिया बोल रहा है ||

समय हुआ विपरीत कभी तो,

फिर कोई साथ नहीं होगा |

बढ़ते कदमों को मत रोको,

अवलोकन यूँ डोल रहा है ||

अनिता भटनागर(मौलिक व अप्रकाशित)

Added by Anita Bhatnagar on January 25, 2023 at 9:24am — 1 Comment

ग़ज़ल

122 122 122 122

जो ख्वाबों ख़यालों में खोए रहेंगे |

सहर के अँधेरे डराने लगेंगे ||1

बनोगे जो धरती के चाँद सूरज |

तो सातों फ़लक सर झुकाने लगेंगे ||2

मुहब्बत ज़माने से जो बेख़बर है |

बशर देख ताने सुनाने लगेंगे ||3

खुदा की तमन्ना जो करते चलोगे |

फ़लक के सितारे लुभाने लगेंगे ||4

हमें जिंदगी से अदावत मिली है |

इशारे हमें अब डराने लगेंगे ||5

लिखेंगे जुदाई के नगमें कभी जो |

वही तीर बन के सताने लगेंगे…

Continue

Added by Anita Bhatnagar on January 25, 2023 at 9:00am — 1 Comment

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