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Mahendra Kumar's Blog – December 2017 Archive (1)

ग़ज़ल : अब दवाओं का नहीं मुझ पे असर होने को है

अरकान : 2122 2122 2122 212

एक तरफ़ा इश्क़ मेरा बेअसर होने को है

ख़त्म यानी ज़िन्दगी का ये सफ़र होने को है

कहने को तो सर पे सूरज आ गया है दोस्तो

ज़िन्दगी में पर हमारी कब सहर होने को है

हर किसी ने हाथ में पत्थर उठाये देखिये

और फिर उनका निशाना मेरा सर होने को है

आपको चाहा था मैंने बेतहाशा टूट कर

अब यही तकलीफ़ मुझको उम्र भर होने को है

करना है कुछ आपको तो बस दुआएँ कीजिए

अब दवाओं का कहाँ मुझ पे असर होने को…

Continue

Added by Mahendra Kumar on December 26, 2017 at 10:00pm — 18 Comments

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