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Saurabh Pandey's Blog – December 2013 Archive (4)

दोहे : शुभ-नूतन की बाट // -सौरभ

प्रतिपल नव की कल्पना, पल-व्यतीत आधार  

सामासिक दृढ़ भाव ले,  आह्लादित संसार  



सिद्धि प्रदायक वर्ष नव : धर्म-कर्म-शुभ-अर्थ

मंशा कुत्सित दानवी, लब्धसिद्धि हित व्यर्थ



शाश्वत मनस स्वभाव…

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Added by Saurabh Pandey on December 26, 2013 at 4:20pm — 42 Comments

नवगीत - नये साल की धूप // --सौरभ



आँखों के गमलों में

गेंदे आने को हैं

नये साल की धूप तनिक

तुम लेते आना.. .



ये आये तब

प्रीत पलों में जब करवट है

धुआँ भरा है अहसासों में

गुम आहट है

फिर भी देखो

एक झिझकती कोशिश तो की !

भले अधिक मत खुलना

तुम, पर

कुछ सुन जाना.. .

नये साल की धूप तनिक

तुम लेते आना.. .



संवादों में--

यहाँ-वहाँ की, मौसम, नारे..

निभते हैं

टेबुल-मैनर में रिश्ते…
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Added by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 11:30pm — 58 Comments

ग़ज़ल - आसमानों को संविधान भी क्या // --सौरभ

मिसरों का वज़न - २१२२  १२१२  ११२/२२

 

रौशनी का भला बखान भी क्या !

दीप का लीजिये बयान भी, क्या.. ?!

 

वो बड़े लोग हैं, ज़रा तो समझ--  …

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Added by Saurabh Pandey on December 16, 2013 at 11:00am — 54 Comments

दो कुण्डलिया // --सौरभ

1)

आपस  के  संवाद में,  कितने  ही  मंतव्य !

कुछ तो हैं संयत-सहज, अक्सर हैं वायव्य

अक्सर  हैं   वायव्य,   शब्द से  चोट करारी

वैचारिक …

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Added by Saurabh Pandey on December 13, 2013 at 2:00am — 55 Comments

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