For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नन्दकिशोर दुबे's Blog (8)

गीत : कुम्हलाईए मत खिल खिल रहिये

कुम्ह्लाइए मत खिल-खिल रहिये !

खुश-खुश रहिये , हिलमिल रहिये !

बीत गया मनमोहक सपना 

खो गया दिलबर आपका अपना

कतराइये मत, शामिल रहिये 

हंसमुख रहिये, चुलबुल रहिये !…

Continue

Added by नन्दकिशोर दुबे on April 4, 2018 at 5:00pm — 3 Comments

कंटक ही कंटक हैं, जीवन के पथ में

गीत 

कंटक ही कंटक हैं, जीवन के पथ में !

प्राणों पर संकट है, काया के रथ में !

क्षण-क्षण यह चिंतन

जीवन बीहड़ वन !

इस वन में एकाकी

प्राणों का विचरण…

Continue

Added by नन्दकिशोर दुबे on February 27, 2018 at 11:30am — 7 Comments

गीतिका

रात गहरी, घोर तम छाया हुआ !

हार कर बैठा हूँ --- पथराया हुआ !

यूँ पड़ा हूँ, लोकपथ के तीर पर 

जैसे प्रस्तर-खण्ड ठुकराया हुआ !

दूर जुगनूँ एक दिपता आस का 

शेष सब  सुनसान,   थर्राया हुआ !…

Continue

Added by नन्दकिशोर दुबे on February 17, 2018 at 5:08pm — 4 Comments

वासन्ती-गीत

वासन्ती-गीत

        

सुरीले दिन वसन्त के

मनहर,सरसाते दिन आये रसवन्त के

सुरीले दिन वसन्त के.....!

  

बहुरंगी बोछारे धरती पर बरसाते

ऋतुओ का राजा फिर आया हँसते गाते

 

 पोर पोर पुलकित दिक् के दिगन्त के 

सुरीले दिन वसन्त के......!

 

मस्ताना मौसम जनजीवन में थिरकन हैं

कान्हा की भक्ति  मे खोया हर तन मन हैं

 

चित्त चपल, ध्यान मग्न, योगी और संत के

सूरीले दिन वसन्त…

Continue

Added by नन्दकिशोर दुबे on January 28, 2018 at 7:30pm — 2 Comments

भरोसा क्या ?

कौन किस वक्त क़ौल से अपने

हट के फिर जायेगा भरोसा क्या ?

कब ये आकाश टूटकर मेरे

सर पे गिर जायेगा भरोसा क्या ?

दोस्ती को निबाहने वाले

हों तो इतिहास में ही जिन्दा हों

आज के दौर का कोई बन्दा

कब मुकर जायेगा भरोसा क्या ?

प्यार की बात, साथ जन्मों का

बोलना तो सरल मगर प्यारे

प्यार का फूल किस घटी,किस पल

झर बिखर जायेगा भरोसा क्या ?

चंद जुमले उछाल कर तुम तो

अपने मित्रों के सर ही चढ़ बैठे

याद रखियेगा,…

Continue

Added by नन्दकिशोर दुबे on October 20, 2017 at 9:00pm — 6 Comments

शरद्पूर्णिमा (कविता)

ज्यों खटक जाता है

किसी चित्रकार को

स्वरचित सफल चित्र पर

अचानक रंगो का बिखर 

जाना !

.

ज्यों खटक जाता है

ज्येष्ठी धूप में तपे प्यासे मानव को

सम्मुख आ सजल पात्र का

अकस्मात ही लुढ़क जाना !.

ज्यों खटक जाता है

प्रणयी युगल को

मधुर प्रणय मिलन 

के मध्य

किसी अन्य का

अप्रत्याशित आ जाना !

.

त्यों ही खटक रहा है मुझको

शरद्पूर्णिमा के चंद्र पर

निगोड़े मेघो का छा जाना !! …



Continue

Added by नन्दकिशोर दुबे on October 1, 2017 at 9:00pm — 3 Comments

सम्भावना के द्वार पर

सम्भावना के द्वार पर दस्तक हुई है

देखकर मुझको हुई वह छुईमुई है

देखता ही रह गया विस्मित चकित सा

रंग, रस, मद से भरी वह सुरमई है

रम्य मौसम, रम्य ही वातावरण ये 

सुनहली इस साँझ की सज धज नई है

प्रेम की पलपल उमड़ती भावना पर

वर्जनाओं की सतत् चुभती सुई है

तरलता बांधी गयी, कुचली गयी हैं कोपलें

क्रूरता द्वारा सदा सारी हदें लांघी गयी हैं

क्रूरता सहनें को तत्पर, वर्जना मानें ना मन

प्यार का अदभुत् असर हम पर हुआ कुछ जादुई है…

Continue

Added by नन्दकिशोर दुबे on September 22, 2017 at 11:30pm — 4 Comments

आंसू की गाथा

कुछ जाना कुछ अनजाना-सा लगता है
कुछ भूला कुछ पहचाना-सा लगता है

दर्पण में प्रतिबिम्बित अपना ही मुखड़ा
कुछ अपना कुछ बेगाना -सा लगता है

मुझ-सम लाखो लोग यहां पर बसते है
हर कोई बस दीवाना-सा लगता है

जीवन तो बस वाल्मीकि की वाणी मे
आंसू की गाथा गाना-सा लगता है !

.
मौलिक व अप्रकाशित  ---नन्दकिशोर दुबे

Added by नन्दकिशोर दुबे on September 22, 2017 at 11:00pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
19 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service