For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

AMAN SINHA's Blog – September 2021 Archive (12)

जुनून

रगो मे खून बनकर तेरे, यूँ “जुनून” बहता है

बिना मंज़िल के ना रुकना, ये सुकून कहता है

हुआ क्या राहों मे तेरे, जो बस पत्थर ही पत्थर है

चूमेंगे पाँव वो तेरे ये “जुनून” तुझसे कहता है

 

है मुश्किल सफर तेरा ये, गलियां तुझसे कहती है

चुनी ये राह जिसने भी, गुमान दुनिया करती है

तू देख कर चट्टानों को कभी हिम्मत नहीं खोना

पल भर की नाकामी पर तू भूल कर भी नहीं रोना

 

पहाड़ो मे सुराख कर दे, ये हिम्मत बस तुझी मे…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 30, 2021 at 10:00am — 7 Comments

क्षितिज

वो जहां पर असमा और धरा मिल जाते है

छोर मिलते ही नहीं पर साथ में खो जाते है

है यही वो स्थान जिसका अंत ही नहीं

मिल गया या खो गया है सोचते है सब यही



सबको है चाह इसकी पर राह का पता नहीं

बिम्ब या प्रतिबिम्ब है ये भ्रम सभी को है यही

कामना को पूर्ण करने श्रम छलांगे भरता है

मरीचिका के जाल में जैसे मृग कोई भटकता है



है धरा का अंत वही जिस बिंदु से शुरुआत है

यात्रा अनंत इसकी कई युगों की बात है

ओर ना है छोर इसका शुन्य सा आकाश है

जिसका जग को…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 27, 2021 at 10:36am — 3 Comments

कुछ बदला सा

कुछ बदला-बदला सा ये जहां नज़र आता है, 

राह अब भी है वही पर, अजनबी सा नज़र आता है

तन तो हमेशा ही अपना था मगर,

न जाने क्यों अब पराया सा नज़र आता है

 

ज़िंदगी को हमने कुछ यूं गुज़रते देखा

जैसे रेत को बंद मुट्ठी से फिसलते देखा

ज़ोर जितना भी लगाया रोकने मे उसे

छोटे से छेद से जिंदगी को निकलते देखा

एक आहट सी हुई किसी के आने की जैसे

साँसो मे घुल सी गयी किसी की खुशबू जैसे

इस खुशबू से मेरा वास्ता एक अरसे से रहा

रूह…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 22, 2021 at 10:00am — 5 Comments

दिखने दो

दर्द है तो दिखने दो, आँख से आँसू बहने दो

किसने रोका है तुमको, जो रोना है तो रो लेने दो

कब तक तुम रोके रखोगे, उन भूली बिसरी यादों को

दिल के कोने मे दबी है जो, न रोको उस चिंगारी को

रोकोगे दिल भर जाएगा, घुट-घुट के दम घुट जाएगा

गुब्बारे सा है दिल अपना, भर गया जो फिर फट जाएगा

अरमानों की कोई गठरी हो, या तेज़ घोर दोपहरी हो

चिंता मे तुम जो ना घिरे, तुम अपने जाल के मकड़ी हो

बस कर खुदको दोष न दे, जो गुम है खुदको होश…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 21, 2021 at 10:20am — 4 Comments

ये मेरे बस की बात नहीं

तू खुद ही जुदा हो जा मुझसे अब यही बेहतर है

इश्क़ किया था तुझसे नफरत मुमकिन नहीं होगी

तेरे यादों  का आशियाँ बनाए बैठे  है हम कब से

प्यार की दुनिया को जलाने की हिम्मत नहीं होगी

 

कैसे करूँ नफरत तुझसे, बता ऐ ज़िंदगी

तुझे भूलने की हमसे कोशिश भी नहीं होगी

अब तू ही मेरी…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 16, 2021 at 10:30am — No Comments

झूठी शख़्सियत

राह में मैं एक दफा, खुद से हीं टकरा गया

अक्स देखा खुद का तो, होश मुझको आ गया

दूसरो को दूँ नसीहत, काबिलियत मुझमे नहीं

आँख औरों को दिखाऊं, हैसियत इतनी नहीं

 

आईने में खुद का चेहरा, रोज ही तकता हूँ मैं

मैं भला हूँ झूठ ये भी, खुदसे ही कहता हूँ मैं

अपने फैलाये भरम में, हर घडी रहता हूँ मैं

सोच की मीनारों पर, बस पूल बांधता हूँ मैं

 

बातों में मेरी सच की, दूर तक झलक नहीं

इस जमी मिलता जैसे, दूर तक फलक नहीं

क्या गलत है…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 15, 2021 at 12:00pm — 2 Comments

हाल-ए-दिल

गा रहा हूँ मैं आज, अपने ग़म सभी भुलाने को

हौसला शराब का है, हाल-ए-दिल सुनाने को

राज दिल में लाखो अपने, आज सबको खोलना है

लोग रुस्वा हो भले ही, एक- एक कर बोलना है

मर गए तो क्या मरेंगे, जी कर भी करना है क्या?

कुछ ना उससे राबता है, अब भला डरना है क्या?

आज अपनी बेहयायी, सबको…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 14, 2021 at 10:12am — No Comments

नास्तिक

सर झुका दूँ तेरे दर पर, ये मुझे करना नहीं

जान दे दूं हंस के लेकिन डर के है मरना नहीं

हाँथ जोडू पैर पकड़ूँ न तेरी मिन्नत करूँ

अपने ख़ातिर तेरे आगे डर के न तौबा करूँ

तू ने ही बनाया सबको जो ये चाहे सोच ले

तेरे ही लिखे पे फिर क्यों तेरा ही ना बस चले

तू अगर अगर है जन्मदाता सबका पालन हार है

जो दबे हैं उनपर दुःख का क्यों तोड़ता पहाड़…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 13, 2021 at 10:07am — 4 Comments

परदेसी

ज़िम्मेदारी के बोझ ने कभी सोने ना दिया

चोट जितनी भी लगी हो मगर रोने न दिया

घर से दूर रहा मैं जिनकी हंसी के ख़ातिर

अपना जितना भी बनाया पर अपना होने न दिया



सुबह की धुप न देखी, चाँदनी छु न सका

गुज़रा दिन भी अंधेरे मे, उजाला ना देख सका

तलब थी चैन से सोने की किसी की बाहों मे

जब भी घर मैं लौटा, पनाह पा ना सका



दो ठिकानो के बीच ही बसर मैं करता रहा

सभी खुश थे इसी से मैं सब्र करता रहा

जलाकर खून जो अपना रोटी कमाई थी

पेट सभी का भरा, मैं मगर आधा ही…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 10, 2021 at 10:13am — 2 Comments

जो कही नहीं तुमसे

जो कही नहीं तुमसे, मैं वो ही बात कहता हूँ

चलो मैं भी तुम्हारे संग कदम दो चार चलता हूँ

चाहत थी यही मेरी तू भी साथ चल मेरे

न बंदिश हो ना दूरी हो रहूँ जब साथ मैं तेरे

लूटा दूँ ये जवानी मैं बस इस दो पल की यादों में 

छुपा लूँ आखँ में अपने न बहने दूँ मैं पानी में 

दिखाता हूँ जो नज़रों से, जुबा से कह ना पाऊँगा

हूँ रहता साथ मैं हरदम पर तेरा हो ना पाऊँगा

हक़ीक़त है यही मेरी मैं तुझसे प्यार करता हूँ

तू वाकिफ है मेरे सच से मैं कितना तुझपे मरता…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 6, 2021 at 12:28pm — 4 Comments

कुछ अनकही सी

अंजाना सफर तनहाई का डेरा

उदासी का दिल मे था उसके बसेरा

साँवली सी आंखो पर पालको का घेरा

भुला नहीं मैं वो चमकता सा चेहरा

आंखे भरी थी और लब सील चुके थे

दगा उसके सीने मे घर कर चुके थे

था कहना बहूत कुछ उसको भी लेकिन

धोखे के डर से वो लफ्ज जम चुके थे

हाले दिल चेहरे पर दिखता था यू हीं

के ग़म को छुपाने की कोशिश नहीं थी

दिल चाहता तो था संग उसके चलना

मगर साथ चलने की कोशिश नहीं थी

कहा कुछ नहीं पर समझा दिया सब

ना बाकी रहा…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 4, 2021 at 11:55am — 2 Comments

आखिर क्यों?

हमें पाकर भी उन्हें क्या मिलेगा

पल भर की खुशी फिर रोज़ हीं जलेगा

चाहे कहे या ना कहे वो होठों से मगर

ये सिलसिला तो अब रोज़ हीं चलेगा

 

नही पता उसने ऐसा क्यों किया

हमें जानकर भी अपना दिल क्यों दिया

ज़ख़्म उसे सुकून देते हैं शायद

तभी उसने दर्द से अपना दामन भर लिया

 

मेरी लाख लानतों के बाद भी

क्यों वो हर रोज़ चला आता है

लगता है उसे…

Continue

Added by AMAN SINHA on September 2, 2021 at 11:00am — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
23 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service