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डॉ छोटेलाल सिंह's Blog – September 2019 Archive (2)

व्यथित हृदय

व्यथित हृदय

अनुपम सृजन सृष्टि की बेटी

बेटी को ना ठुकराएं।

प्यार मुहब्बत की निधि बेटी

हाथ बढ़ाकर अपनाएं।।

बेटी अगर अनादृत होगी

जग कलुषित हो जाएगा।

आन मान सम्मान धरा पर

कहीं नहीं बच पायेगा।।

मृदुल भाव मधु सदृश बेटियाँ

जग रोशन नित करतीं हैं।

अंतर्मन के हर विषाद तम

सुखद अमिय रस भरतीं हैं।।

सस्मित सुरभि लुटाकर हर पल

जग मधुमय कर देतीं हैं।

सदा अंक में प्रदीप्त करके

हर बाधा हर लेतीं…

Continue

Added by डॉ छोटेलाल सिंह on September 27, 2019 at 7:05pm — 7 Comments

मातृभाषा हिन्दी

हिन्दी में हम पढ़े लिखेंगे, हिन्दी ही हम बोलेंगे।
हिन्दी को घर-घर पँहुचाकर, हिन्द द्वार हम खोलेंगे।
सकल हिन्द के हित में हिन्दी,सबको यह बतलायेंगे
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण, हिन्दी को फैलायेंगे।।
शर्मसार अपनी हिन्दी को, कभी नहीं होने देंगे।
हिन्दी है सम्भार हिन्द की, इसे नहीं खोने देंगे।
भ्रांत मनुज के गहन तिमिर को,दूर भगाएगी हिन्दी।
कटु विषाद मन जनित व्याधि को,सदा मिटाएगी हिन्दी।।
हिन्दी बिना हिन्द की…
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Added by डॉ छोटेलाल सिंह on September 14, 2019 at 8:15pm — 4 Comments

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