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राज लाली बटाला's Blog – September 2013 Archive (1)

ग़ज़ल .... मयकशी मयकशी नहीं लगती !

ग़ज़ल

....

मयकशी मयकशी नहीं लगती !

रौशनी रौशनी नहीं लगती !!

.....

अब इबादत में दिल नहीं लगता !

बन्दगी बन्दगी नहीं लगती !!

......

हर तरफ भीड़ और मैं तनहा!

बेबसी बेबसी नहीं लगती !!

...

दिल में रखते हैं वोह तो दिल कितने !

आशिकी आशिकी नहीं लगती !!

...

गुफ़्तगू आप से करें कैसे !

आपको तो  कमी नहीं लगती

....

हैं खफा वोह अगर खफा हम है !

दोसती दोसती नहीं लगती !!

....

चाँद तारों के साथ चलता हूँ !…

Continue

Added by राज लाली बटाला on September 25, 2013 at 8:30pm — 26 Comments

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