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Indravidyavachaspatitiwari's Blog – July 2016 Archive (2)

कूटनी

पहले के जमाने में कुटनी औरते आती थीं और आपका सारा भेद लेकर चली जाती थी। आज भी यह परम्परा बरकरार है। कुछ औरतों का काम है कि अन्य घरों का समाचार लेकर अपने इच्छित स्थानों पर पहुंचाती हैं।और उसके द्वारा संबंधित व्यक्ति का मनमाना नुकसान करती हैं। क्या आज के समाज में ऐसे लोगों का बहिष्कार संभव नहीं है? यदि आप ऐसों से बच जाते हैं तो आगे आप का भला ही भला है।ी

एक ऐसी ही कहानी है कुटनी की जो हमारे गांव की है और आये दिन किसी न किसी के घर में हंगामा बरपा कर ही चैन लेती है। नाम है उसका रेशमी काकी।…

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Added by indravidyavachaspatitiwari on July 27, 2016 at 6:30pm — No Comments

रिमझिम

  बरसात के मौसम में आपको ऐसा लगेगा कि बादल ब्रस रहे हैं ल्ेकिन व्े आपको और साथियों के लंुभाते और बुलाते हैं आप आवें और उनके प् ाष में उलझ कर रह जायेे। कभी-कभी ऐसा होता है वे आते हैं और झमक कर बरस जाते हैं। तब रिमझिम फुहारें मन को इतना भिगोती हैं कि मन पर लगता है लदा भार हट जाता है। मौलिक और अप्रकाषित

Added by indravidyavachaspatitiwari on July 11, 2016 at 9:08am — No Comments

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