दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्य
कैसे क्यों को छोड़ कर, करते रहो प्रयास ।
लक्ष्य भेद का मंत्र है, मन में दृढ़ विश्वास ।।
करते हैं जो जीत से, लक्ष्यों का शृंगार ।
उनको जीवन में कभी, हार नहीं स्वीकार ।।
आज किया कल फिर करें, लक्ष्य हेतु संघर्ष ।
प्रतिफल है प्रयासों का , लक्ष्य प्राप्ति पर हर्ष ।।
देता है संघर्ष ही, जीवन को उत्कर्ष ।
आज नहीं तो जीत का, कल छलकेगा हर्ष ।।
सच्ची कोशिश हो अगर, मंज़िल आती पास ।
दे जाता संघर्ष को, एक…
Added by Sushil Sarna on April 30, 2025 at 7:53pm — No Comments
नहीं दरिन्दे जानते , क्या होता सिन्दूर ।
जिसे मिटाया था किसी , आँखों का वह नूर ।।
पहलगाम से आ गई, पुलवामा की याद ।
जख्मों से फिर दर्द का, रिसने लगा मवाद ।।
कितना खूनी हो गया, आतंकी उन्माद ।
हर दिल में अब गूँजता,बदले का संवाद ।।
जीवन भर का दे गए, आतंकी वो घाव ।
अंतस में प्रतिशोध के, बुझते नहीं अलाव ।।
भारत ने सीखी नहीं, डर के आगे हार ।
दे डाली आतंक को ,खुलेआम ललकार ।।
कर देंगे…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 26, 2025 at 1:00pm — 4 Comments
दोहा सप्तक. . . . उल्फत
याद अमानत बन गयी, लफ्ज हुए लाचार ।
पलकों की चिलमन हुई, अश्कों से गुलजार ।।
आँखों से होते नहीं, अक्स नूर के दूर ।
दर्द जुदाई का सहे, दिल कितना मजबूर ।।
उल्फत में रुसवाइयाँ, हासिल हुई जनाब ।
मिला दर्द का चश्म को, अश्कों भरा खिताब ।।
उलझ गए जो आँख ने, पूछे चन्द सवाल ।
खामोशी से ख्वाब का, देखा किए जमाल ।।
हर करवट महबूब की, यादों से लबरेज ।
रही सताती रात भर, गजरे वाली सेज ।।
हासिल दिल को इश्क में, ऐसी हुई किताब…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 18, 2025 at 5:29pm — 1 Comment
दोहा सप्तक. . . . . तकदीर
होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर ।
उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर ।।
भाग्य भरोसे कब भला, करवट ले तकदीर ।
बिना करम के जिंदगी, जैसे लगे फकीर ।।
बिना कर्म इंसान की, बदली कब तकदीर ।
श्रम बदले संसार में, जीने की तस्वीर ।।
चाहो जो संसार में, मन वांछित परिणाम ।
नजर निशाने पर करे, संभव हर संधान ।।
भाग्य भरोसे कब हुआ, जीवन का उद्धार ।
चाबी श्रम की खोलती, किस्मत का हर द्वार ।।
बिछा हुआ हर हाथ में,…
ContinueAdded by Sushil Sarna on April 11, 2025 at 2:30pm — 2 Comments
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