कल का आज कैसा होगा ,
किसी के सपनो के ताजमहल नही ,
खंडहर जैसा होगा ,
दीवारें खड़ी बेजान सी ,
जाने पहचाने अनजान सी,
उठने से पहले ,
दबने वाले तूफान सी ,
खड़ी होगी अपने जर्जर नीव पर ,
अपने सत्य को मिथ्या बताते ,
जिन्हें देख कर उठेगा प्रश्न ,
कल का आज कैसा होगा,
इस खँडहर नही,
किसी के…
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 13, 2011 at 12:30pm — 2 Comments
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 13, 2011 at 12:00pm — 2 Comments
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 12, 2011 at 11:30pm — 1 Comment
Added by Rajeev Kumar Pandey on April 12, 2011 at 9:30pm — 6 Comments
मै मरघट में जब जाता हूँ ,
मै मर-घट में मर जाता हूँ ,
जब मर और घट न घट पाए..
तो खुद ही मै घट जाता हूँ .//
मै मरघट को समझाता हूँ ,
कि …
ContinueAdded by Rajeev Kumar Pandey on April 7, 2011 at 10:39am — 1 Comment
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