For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Amrish Kumar Aggarwal
Share on Facebook MySpace

Amrish Kumar Aggarwal's Groups

 

Amrish Kumar Aggarwal's Page

Latest Activity

Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-143
"सुनाऊं किसे मैं अधूरी कहानी रही यूं ही तन्हा मिरी ज़िंदगानी हक़ीक़त हुए ना वो जो ख़्वाब देखे रही ज़िंदगी बुलबले की सी फानी समन्दर था गहरा थी कमज़ोर कश्ती डुबा ही गई नाखुदा की सियानी भला कौन सुनता मिरी दास्तां ये न पुरनूर चेहरा न दिलकश बयानी मिली…"
Sep 18, 2022
Amrish Kumar Aggarwal joined Admin's group
Thumbnail

ग़ज़ल की कक्षा

इस समूह मे ग़ज़ल की कक्षा आदरणीय श्री तिलक राज कपूर द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सदस्य सीखने के इच्‍छुक है वो यह ग्रुप ज्वाइन कर लें |धन्यवाद |See More
Sep 17, 2022
Amrish Kumar Aggarwal left a comment for Er. Ganesh Jee "Bagi"
"आदरणीय बागी जी, मैंने अभी अभी ओबीओ ऑनलाइन में प्रवेश किया है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि जो भी मेरी रचना पर अन्य लोगों के विचार आए हैं उनको मैं कैसे देखूं। मैं टेक्नोलॉजी में थोड़ा कमज़ोर हूं। यदि मेरा मार्ग दर्शन करेंगे, तो मैं आपका आभारी हूंगा। सादर।"
Aug 30, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"आदरणीय बागपतवी जी, हौसला अफज़ाई के लिए आपका बहुत शुक्रिया। मेरी गलतियां बताने के लिए तह ए दिल से आपका आभारी हूं। मैंने ग़ज़ल की विधा 2020 से ही सीखनी शुरू की है और अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। मैं गुड़गांव में रहता हूं और यहां पर मुझे कोई उस्ताद शायर…"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"आदरणीय मनन जी, आपका हार्दिक आभार। दूसरे शेर के उला का अर्थ मुझे तो बिलकुल साफ़ समझ आ रहा है। कृप्या खुल कर बताएं क्या कमी है। स्पेलिंग की गलती गूगल ट्रांसलिटरेशन की मेहरबानी है। धन्यवाद।"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"आदरणीय ऋचा यादव जी, हौसला अफज़ाई के लिए आपका बहुत शुक्रिया। सादर अभिवादन।"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"तरही ग़ज़ल (अमरीश अग्रवाल "मासूम") 122 122 122 122 जिन्हें अर्श पर हम बिठाने लगेंगे वही लोग हमको गिराने लगेंगे वफ़ा का कभी पास जिनको नहीं था वही बेवफ़ा आजमाने लगेंगे वफ़ा ख़ाक बन कर उड़ी एक पल में मगर ढूंढने में ज़माने लगेंगे बदलते रहे…"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal is now a member of Open Books Online
Oct 12, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
Gurugram
Native Place
Maler Kotla
Profession
Retired DGM from State Bank Group
About me
I am in love with poetry and have started writing since 2019

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:37am on April 9, 2024, Erica said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
53 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
19 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
20 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service