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Amrish Kumar Aggarwal
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Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-143
"सुनाऊं किसे मैं अधूरी कहानी रही यूं ही तन्हा मिरी ज़िंदगानी हक़ीक़त हुए ना वो जो ख़्वाब देखे रही ज़िंदगी बुलबले की सी फानी समन्दर था गहरा थी कमज़ोर कश्ती डुबा ही गई नाखुदा की सियानी भला कौन सुनता मिरी दास्तां ये न पुरनूर चेहरा न दिलकश बयानी मिली…"
Sep 18, 2022
Amrish Kumar Aggarwal joined Admin's group
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ग़ज़ल की कक्षा

इस समूह मे ग़ज़ल की कक्षा आदरणीय श्री तिलक राज कपूर द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सदस्य सीखने के इच्‍छुक है वो यह ग्रुप ज्वाइन कर लें |धन्यवाद |See More
Sep 17, 2022
Amrish Kumar Aggarwal left a comment for Er. Ganesh Jee "Bagi"
"आदरणीय बागी जी, मैंने अभी अभी ओबीओ ऑनलाइन में प्रवेश किया है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि जो भी मेरी रचना पर अन्य लोगों के विचार आए हैं उनको मैं कैसे देखूं। मैं टेक्नोलॉजी में थोड़ा कमज़ोर हूं। यदि मेरा मार्ग दर्शन करेंगे, तो मैं आपका आभारी हूंगा। सादर।"
Aug 30, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"आदरणीय बागपतवी जी, हौसला अफज़ाई के लिए आपका बहुत शुक्रिया। मेरी गलतियां बताने के लिए तह ए दिल से आपका आभारी हूं। मैंने ग़ज़ल की विधा 2020 से ही सीखनी शुरू की है और अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। मैं गुड़गांव में रहता हूं और यहां पर मुझे कोई उस्ताद शायर…"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"आदरणीय मनन जी, आपका हार्दिक आभार। दूसरे शेर के उला का अर्थ मुझे तो बिलकुल साफ़ समझ आ रहा है। कृप्या खुल कर बताएं क्या कमी है। स्पेलिंग की गलती गूगल ट्रांसलिटरेशन की मेहरबानी है। धन्यवाद।"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"आदरणीय ऋचा यादव जी, हौसला अफज़ाई के लिए आपका बहुत शुक्रिया। सादर अभिवादन।"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-146
"तरही ग़ज़ल (अमरीश अग्रवाल "मासूम") 122 122 122 122 जिन्हें अर्श पर हम बिठाने लगेंगे वही लोग हमको गिराने लगेंगे वफ़ा का कभी पास जिनको नहीं था वही बेवफ़ा आजमाने लगेंगे वफ़ा ख़ाक बन कर उड़ी एक पल में मगर ढूंढने में ज़माने लगेंगे बदलते रहे…"
Aug 27, 2022
Amrish Kumar Aggarwal is now a member of Open Books Online
Oct 12, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
Gurugram
Native Place
Maler Kotla
Profession
Retired DGM from State Bank Group
About me
I am in love with poetry and have started writing since 2019

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At 10:37am on April 9, 2024, Erica Woodward said…

I need to have a word privately, please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.

 
 
 

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122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
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