For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहस और तर्क में अंतर होता है
ये बात बहुत बारीक लकीर के अंतर से समझी जा सकती है
तर्क
आप तब करते है जब आपको किसी विषय की जानकारी होती है
तथ्यों के साथ , उदाहरण के साथ और सटीक आंकड़ों के साथ
लेकिन बहस
बहस एक उन्मांद सा है किसी भी विषय पर
बिना समझे कुछ कह देना और फिर अपने को सही साबित करने के लिए कुतर्कों का सहारा लेना
हो सकता है तर्क कभी कभी बहस बन जाये . लेकिन तर्कों की अपनी एक पहचान और एक स्थान होता है जिसे सुनने वाला विचारता भी है
लेकिन बहस के बाद हासिल कुछ नही होता
बुद्धिमान होना अथवा खुद को प्रमाणित करना दो अलग बातें है
एक है कोशिश अर्थात जैसे किसी विषय के को साबित करने के पीछे कुछ भी कहना बहस कहलाएगी

कोई तर्क को काटने निकल पड़े तो काट सकता है लेकिन हाथ कुछ नहीं लगेगा। बेशक़ खुश हो ले कि मैंने तुम्हारे बात को काट दिया, लेकिन हाथ कुछ लगेगा नहीं , बल्कि बहस में बदल जायेगा मुद्दा ।
और अपनी बात को समझाने के लिहाज़ से कुछ कहना तर्क के श्रेणी में आएगा

मतलब ये भी है कि हम जो भी संवाद करते हैं, तो दूसरे तरीके से सुनना भी पड़ेगा । क्योंकि हम जितनी भी बातें कर रहे हैं उनको काटना बड़ा आसान है । हम बातें कर रहे हैं ‘शब्द’ से तो निश्चित रूप से हम जितनी भी बातें कर रहे हैं वो क्या हैं ? अधूरी हैं
और अगर कोई उसको काटने पर उतारू हो तो काट सकता है। अभी यहाँ पर एक सूक्ष्म बुद्धि का आदमी बैठा दिया जाए जिसने तय ही कर रखा हो कि कुतर्क करना है, तो वो जीत जाएगा। वो तय कर के आया होता है

व्यक्ति अधूरे ज्ञान से ही अपने आप को विद्वान् समझने लगते हैं और शेखी बघारने के लिए खुद को विद्वान् प्रमाणित करने की कोशिश करते है इसके लिए वें दूसरे के वार्तालाप के वक़्त अपना सुझाव पेश करके उस पर बहस करने पर उतारू हो जाते हैं जिसके कारण उन्हें अपमानित होना पड़ता है । परन्तु अधूरे ज्ञानी इंसानों की बहस करने की आदत उन्हें बार बार किसी के भी वार्तालाप में हस्तक्षेप करने के लिए उकसाती है इससे बचिए ।
ज्ञान हासिल कीजिये फिर खुद को उसकी कसौटी पर परखिये
अगर आप अपना स्केल खुद बनाते है तो आपसे ज्यादा समझदार कोई नही हो सकता
अपने कथन को बार बार दोहरा कर उसे प्रमाणित करने की कोशिश करता है कोई जब तो वह प्रयास उसके द्वारा करी गई बहस कहलाती है ।

आमतौर पर, जब विचारों में मतभेद होता है तो दो लोगों के बीच बहस होना आम बात है। कभी−कभी बात हद तक बढ़ जाती है कि एक आम बहस बड़ी लड़ाई का रूप ले लेती है। जब भी बहस होती है तो दोनों पक्ष यही चाहते हैं कि जीत उन्हीं की हो ।
बचिए बहस से
तर्क को बहस की जरूरत नही तर्क के पीछे तथ्य होते है
लेकिन बहस के पीछे सपाट जमीन
इसलिए सुनना सीखें

किसी भी बहस को जीतने का एक मकसद बोलना नहीं बल्कि सुनना है। किसी भी बहस में हर कोई पहले अपनी बात को रखना चाहता है। ऐसे में कोई भी दूसरे के मुद्दे को समझ नहीं पाता और बहस किसी भी मंजिल पर नहीं पहुंचती। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप सबसे पहले शांतिपूर्वक दूसरे की बात सुनें।
ध्यान दें :-
♦️धर्मपर तर्क करने वाले से बहस नही करना चाहिए उन्हें छोड़ दे ,
( balshiv )
♦️ आत्मा तर्क से परास्त हो सकती है, पर परिणाम का भय तर्क से दूर नही होता. वह पर्दा चाहता है. -प्रेमचंद
!!
मनु काव्यात्मक एडवाइजर ,

Views: 558

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
20 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service