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SANJAY KUMAR JHA's Discussions (21)

Discussions Replied To (5) Replies Latest Activity

"मंजूरी देबाक लेल धन्यवाद !"

SANJAY KUMAR JHA replied Aug 23, 2015 to अथ फिनायल कथा !

1 Aug 23, 2015
Reply by SANJAY KUMAR JHA

"आदरणीया कांता जी सादर नमन , अपनेक प्रतिक्रिया देखि मोन हर्षित भेल। हाँ , हमरा सँ इ ल…"

SANJAY KUMAR JHA replied Aug 11, 2015 to बेटी आ बहिनक मनोरथ के बारे में सेहो सोचु (लघुकथा)

3 Aug 11, 2015
Reply by kanta roy

"सुन्नर, जगदानन्द जी "

SANJAY KUMAR JHA replied Aug 9, 2015 to गीत

9 Aug 10, 2015
Reply by kanta roy

"सादर नमन आ० पाण्डेय जी , दु  वर्षक प्रवासक प्रभाव एहन ? जानि  मोनक हर्ष कहबायोग्य नह…"

SANJAY KUMAR JHA replied Aug 9, 2015 to गीत

9 Aug 10, 2015
Reply by kanta roy

""हम तय आब जे बजलहूँ से बजलहूँ । करबो सैह करब , नई तय कहियौ जे चेत जायत सब । " सुन्नर…"

SANJAY KUMAR JHA replied Aug 9, 2015 to सम्हरि जाऊ बाबू मिथिलानी जागि गेल ( लघुकथा )

9 Aug 10, 2015
Reply by kanta roy

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Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
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Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
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PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
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Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
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