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मिथिलेश वामनकर's Discussions (7,317)

Discussions Replied To (5667) Replies Latest Activity

सदस्य टीम प्रबंधन

"खिड़कियों में बैठती हैं आजकलइन हवाओं में नमी होने लगीदेखते ही सब भँवर गहरे हुएएक धारा…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक -44 में शामिल सभी ग़ज़लों का संकलन चिन्हित मिसरों के साथ

15 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"एक पत्थर ही सही गौर से देखो इस ओरतुम अगर चाहो मुझे बुत में बदल जाऊँगा वाह वाह "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 43 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

5 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह वाह- हम ग़ज़ल को निगाहों से पीने लगे तब कहीं जा के दिल शायराना हुआ"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 42 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन

18 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह बह्र-ए-कामिल में इतनी सारी गज़ले  इतने अशआर  इतने मिसरे  वाह "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 41 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

35 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह वाह  हमें न थाम सकेगा कोई सहारा अब,हमें शराब ही रोकेगी लड़खड़ाने से.   लगे हैं लो…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ४० में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

52 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"वाह बह्र-ए-हजज़ में कमाल की गज़लें  निवाला आज अपनों ने तेरे खाया नहीं खायाकभी तो देख…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ३९ में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

15 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

" मिर्ज़ा ग़ालिब की कमाल की ग़ज़ल से लिया गए मिसरा-ए-तरह पर कमाल की गज़लें "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ३८ में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

33 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"बेहतरीन गज़लें  "

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक ३७ में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

22 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"वाह वाह वाह अशआर - ज़रा सी दूर तलक, साथ चल के देखते हैंबिखर चुका है यकीं, चल बदल के…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा अंक 36 में सम्मिलित सभी गज़लों का संकलन (चिन्हित मिसरों के साथ)

37 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

सदस्य टीम प्रबंधन

"सूर्य कुहसार से उठा लायाजीस्‍त में दिन नया लिखा लाया।   धूप पगडंडियों पे पसरी थीछॉंव…"

मिथिलेश वामनकर replied Apr 26, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा-अंक 35" में प्रस्तुत सभी गज़लें, चिन्हित मिसरों के साथ ...

56 Apr 26, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

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